कोयला घोटाले की रिपोर्ट लोकसभा में पेश

presentig-report-of-coal-block-parliament-adjournedनई दिल्ली। कोयला घोटाले की जांच कर रही स्टैंडिंग कमेटी ने मंगलवार को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की। इस बीच हंगामे के चलते लोकसभा को 25 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

समिति की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कोयला आवंटन के लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है वह पूरी तरह से अवैध है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1993 से साल 2008 तक जितने भी कोल ब्लॉक आवंटित हुए हैं वे गैरकानूनी है। समिति ने यूपीए सरकार की कोल प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने लोगों के साथ विश्वासघात किया है। इस दौरान आवंटन की प्रक्रिया से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। यही नहीं समिति ने रिपोर्ट में कहा कि जिन खदानों में अब तक खनन शुरू नहीं हुआ है उनका आवंटन तुंरत रद्द कर दिया जाएगा। समिति मंगलवार को सदन में ये रिपोर्ट सौंप सकती है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र की कोल आवंटन नीति में पारदर्शिता की कमी है। साल 1993 से साल 2004 तक जितने भी आवंटन हुए हैं उनके लिए कोई भी विज्ञापन नहीं दिए गए थे। इसकी जानकारी केवल सरकारी वेबसाइट से उपलब्ध की जा सकती थी। यहां तक की समिति को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

इस बीच, कोल ब्लॉक आवंटन पर सीबीआई रिपोर्ट में दखल को लेकर कानून मंत्री अश्विनी कुमार की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। कोल आवंटन पर सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल करने जा रही है। इसमें बताया जाएगा कि कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कोल ब्लॉक आवंटन पर सीबीआई की रिपोर्ट को देखा था।

इधर, भाजपा ने भी अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि जब तक अश्विनी कुमार इस मुद्दे पर अपना रुख संसद में स्पष्ट नहीं करते हैं तब तक सदन की कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि सोमवार को सरकार कानून मंत्री के इस्तीफा संबंधी विपक्ष की मांग खारिज कर चुकी है।

सोमवार को भाजपा के राज्यसभा में उप नेता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह मुद्दा सरल एवं सीधा है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया है कि वह सरकार के किसी से भी अपनी रिपोर्ट साझा नहीं करे। इसके बावजूद कानून मंत्री ने न केवल कोयला खदान आवंटन घोटाले से जुड़ी सीबीआइ की जांच रिपोर्ट को देखा बल्कि सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने से पहले उसमें बदलाव भी किए।

अश्विनी कुमार ने उन खबरों का खंडन नहीं किया है जिनमें कहा गया है कि उनके दफ्तर में बैठक हुई (जहां इस रिपोर्ट की जांच की गई)। भाजपा नेता ने कहा कि सीबीआइ केवल सुप्रीम कोर्ट के प्रति जवाबदेह है। उसी तरह कानून मंत्री अपने कार्यो के लिए संसद के प्रति जवाबदेह हैं। भाजपा ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पर भी हमला बोला।

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