शौचालय को बना दिया देवालय

people-capture-public-toiletsइलाहाबाद। केंद्रीय ग्रामीण मंत्री जयराम रमेश ने कुछ समय पूर्व कहा था कि इस देश को मंदिर से ज्यादा शौचालयों की जरूरत है। खुले में शौच की प्रवृत्ति को रोकने के लिए शौचालयों की जरूरत बताने वाले मंत्री जी इलाहाबाद आते तो जरूर अपना सिर पकड़ लेते। यहां शौचालयों को ही देवालय में तब्दील कर दिया गया है।

यह सुलभ शौचालय हैं। शहर को स्वच्छ रखने, खुले में शौच करने से रोकने आदि के लिए बनाए गए इन शौचालयों पर बड़े पैमाने पर कब्जा कर लिया गया है। कब्जेदारों ने इन शौचालयों के भवन में दुकाने खोल ली हैं। कई स्थानों पर मंदिर बना दिए गए हैं। यह सब नगर के बीचोबीच हो रहा है। दूरदराज बने शौचालयों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन अथारिटी (एनजीआरबीए) योजना के तहत लाउदर रोड स्थित कुलभास्कर आश्रम डिग्री कालेज के सामने पिछले वर्ष आठ लाख 72 हजार की लागत से सुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया था। यह शौचालय आम जनता के लिए खोला जाता इससे पूर्व इस पर कब्जा हो गया। यहां मूर्ति रखकर मंदिर का रूप दे दिया गया व पूजा-पाठ किया जा रहा है। शौचालय भवन के एक हिस्से में चाट की दुकान लगाने वाले अपना सामान रखते हैं। दूसरे में ट्राली व रिक्शा चालक आराम फरमाते हैं।

सिविल लाइंस स्थित अग्निशमन विभाग के सामने दस सीट वाले सुलभ शौचालय का भी यही हाल है। यह शौचालय चालू है लेकिन यहां फुटपाथ पर कपड़ा बेचने वालों का कब्जा है। त्रिपाल लगाने के लिए कपड़ा विक्रेता सुलभ के भीतर बांस-बल्ली लगा देते हैं। इतना ही नहीं, तालमेल के तहत भीतर सामान भी रखते हैं। मोहत्सिमगंज में काफी पुराना सुलभ शौचालय है। इस शौचालय में बकरी और मुर्गी पालने का कार्य चल रहा है। बक्शी कला स्थित पुराने सुलभ शौचालय में भी कब्जा कर लिया गया है। इसमें लोगों ने अपना बसेरा बना लिया है।

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