चाको को हटाने की मांग करेंगे जेपीसी के विपक्षी सदस्य

p c chacko,नई दिल्ली। 2जी घोटाले को लेकर जेपीसी मसौदा रिपोर्ट पर गुरुवार को होने वाली बैठक तृणमूल सांसद अंबिका बनर्जी के निधन के कारण भले ही टल गई हो, लेकिन कमेटी के सदस्य किसी भी सूरत में शांत बैठने को तैयार नहीं हैं। कमेटी के 15 सदस्य आज दोपहर दो बजे लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से मिलकर अध्यक्ष पी सी चाको को हटाने की मांग करेंगे।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को क्लीनचिट देने, सारा ठीकरा ए राजा पर फोड़ने, अटल बिहारी वाजपेयी का नाम आने, रिपोर्ट मीडिया में लीक होने को लेकर भाजपा, वाममोर्चा के साथ अन्य विपक्षी दल भी लामबंद हो गए हैं। संप्रग से समर्थन वापस ले चुकी द्रमुक सिर्फ अपने मंत्री ए. राजा पर पूरा ठीकरा फोड़ने से पहले ही नाराज है। वह भी फिलहाल विपक्षी खेमे में खड़ी है। समाजवादी पार्टी ने भी जेपीसी की इस रिपोर्ट के खिलाफ वोट करने का एलान किया है। ऐसी स्थिति में जेपीसी में संतुलन विपक्ष की तरफ झुकता दिख रहा है। 30 सदस्यीय जेपीसी में अध्यक्ष पीसी चाको को छोड़कर 29 वोट होंगे, जिसमें कांग्रेस, राकांपा और बसपा के 13 वोट हैं। विपक्षी खेमे में भाजपा, वामदल, द्रमुक, बीजद, तृणमूल के मिलाकर 15 वोट हैं। अगर सपा सरकार के खिलाफ वोट करती है और विपक्षी खेमे में कोई टूट नहीं होती है तथा 16 सदस्यों का वोट रिपोर्ट के खिलाफ जाता है, तो सरकार के सामने कोई चारा नहीं बचेगा। अगर सरकार 14 वोट भी हासिल कर ले, तो चाको अपने वोट से मुकाबला बराबरी पर ले जा सकते हैं। संकेत यह भी हैं कि द्रमुक सदस्य टीआर बालू जेपीसी सभापति पीसी चाको को रिपोर्ट लीक करने के आरोप में पद से हटाने का प्रस्ताव भी ला सकते हैं।

विपक्षी लामबंदी और इस अंकगणित को समझते हुए ही पीसी चाको ने भाजपा के तेवर शांत करने का प्रयास किया और वोटिंग न कराने की परंपरा का हवाला दिया। भाजपा को शांत करने के लिए चाको ने सफाई दी कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का रिपोर्ट में नाम नहीं है और वह बेहद सम्मानित हैं। इसके साथ ही चाको ने जेपीसी में वोटिंग की परंपरा और नियम न होने का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि लोग विरोधपत्र सौंप सकते हैं और भरोसा जताया कि रिपोर्ट स्वीकार हो जाएगी। हालांकि, भाजपा और विपक्ष यह सुनने को बिल्कुल तैयार नहीं है। दरअसल, 2जी पर ही पीएसी अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने जोरदार हंगामा कर वोटिंग कराई थी। जोशी के नहीं रहने के बावजूद रिपोर्ट के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर उसे खारिज कर दिया गया था। डॉ. जोशी ने फिर भी रिपोर्ट दी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। ऐसे में कांग्रेस बैकफुट पर ही नजर आ रही है।

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