चिट फंड घोटाला : केंद्र ने दिए जांच के आदेश, सुदीप्त कोर्ट में पेश

chairman sudipta senकोलकाता। चिट फंड कंपनी सारधा ग्रुप में हुए घोटाले को लेकर अब केंद्र सरकार भी सख्त होती दिखाई दे रही है। बृहस्पतिवार को कंपनी मामले के मंत्री सचिन पायलट ने सारधा घोटाले में जांच के आदेश दे दिए हैं। पायलट ने एक बैठक के दौरान कहा कि सिर्फ सारधा ही नहीं बल्कि ऐसी कई अन्य चिट फंड कंपनियां भी इस जांच के दायरे में आएंगी। इस जांच में कंपनियों में चल रहे कामकाज का पूरा पता लगाया जाएगा। इस बीच, सारधा समूह के मालिक सुदीप्त सेन को आज विधाननगर कोर्ट में पेश किया गया।

इधर, कोलकाता हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को चिट फंड कंपनी सारधा ग्रुप में हुए घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई 3 मई तक टाल दी है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से इस मामले में पूरी रिपोर्ट भी तलब की है। इस बीच, सेबी ने सारधा ग्रुप के साथ चार अन्य चिट फंड कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें नोटिस भेजा है।

इस बीच, सारधा कंपनी में धोखाधड़ी के शिकार हुए हजारों निवेशकों की ओर से बढ़ते विरोध-प्रदर्शन के बाद बंगाल सरकार ने बुधवार को कंपनी के 35 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। घोटाले को लेकर सारधा ग्रुप के खिलाफ कदम उठाते हुए पुलिस ने कंपनी के चेयरमैन एवं एमडी सुदीप्त सेन की 36 कारें जब्त कर ली हैं। कोलकाता के आसपास स्थित सारधा समूह के चार ऑफिस बिल्डिंग को भी जब्त कर लिया है। बंगाल सरकार ने एक आयोग का गठन किया है, जो एक-दो दिनों में निवेशकों की तरफ से शिकायतों को स्वीकार करेगा। उधर, वामदलों ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पूरे घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है।

इससे पहले बीती रात जब सुदीप्त सेन व उनके दो साथी कोलकाता एयरपोर्ट पर पहुंचे तो आम जनता के विरोध का सामना करना पड़ा।

गौरतलब है कि पांच अप्रैल को सेन की ओर से सीबीआई को लिखी चिट्ठी ने बंगाल में बबाल मचा दिया है। उस पत्र में उन्होंने इस घोटाले के पीछे तृणमूल सरकार के दो बड़े सांसद और कई कद्दावर नेताओं का हाथ बताया है। उन्होंने साफ लिखा है कि उन्हें पैसों के लिए ब्लैकमेल किया जाता था और जबरन निवेशकों से पैसा वसूलने को कहा जाता था। यही नहीं उन्होंने लिखा, मैं खुदकुशी करना चाहता हूं, मैं बहुत ही असहाय महसूस कर रहा हूं। मैं समाज में एक बदनाम छवि के साथ नहीं जी सकता हूं।

सीबीआई ने ये चिट्ठी कोलकाता पुलिस को सौंप दी है। इस चिट्ठी के खुलासे के बाद असम सहित पश्चिम बंगाल की सियासत हिलती नजर आ रही है। इस चिट्ठी में सुदीप्त ने तृणमूल के दो सांसद और असम के एक मंत्री समेत 22 नेताओं को पैसे देने की बात स्वीकार की है। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में पार्टी के किसी नेता के जुड़े होने से साफ इन्कार किया है।

पत्र में सेन ने लिखा है कि एक बांग्ला न्यूज चैनल खरीदने के लिए उन्हें बाध्य किया गया। अखबारों से जुड़े दोनों सांसदों ने दवाब बनाकर 60 लाख रुपये प्रतिमाह एक बांग्ला दैनिक को देने के लिए कहा। तृणमूल के दोनों सांसदों में से एक को उक्त चैनल का सीईओ बनाया गया और मासिक वेतन 15 लाख रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया। इसके अलावा एक गाड़ी व तेल आदि के खर्च की बाबत 1.50 लाख रुपये प्रतिमाह देने की बात स्वीकारी गई। सुदीप्त ने आगे लिखा है कि इन रुपये के बदले दोनों सांसदों ने उसे आश्वस्त किया था कि चिट फंड कंपनी चलाने में उसे केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किसी प्रकार की अड़चन का सामना नहीं करना पड़ेगा। यानी सेन को सरकारी व प्रशासनिक सुरक्षा प्राप्त होगी।

आगे लिखा है कि उन दोनों सांसदों में से एक ने सॉल्ट लेक स्थित आवास पर आकर उससे जबरदस्ती कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कराए। उक्त सांसद के चले जाने पर कागज को देखा तो पता चला कि उक्त बांग्ला चैनल को मात्र 55 लाख रुपये में बेचा गया है। इस खुलासे के बाद बंगाल की राजनीति और गरम हो गई है।

इधर, सेबी ने भी ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि तीन माह पहले ही ममता सरकार को कंपनी में हो रही इस गड़बड़ी के बारे में आगाह कर दिया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस घोटाले के बाद सेबी का शिकंजा कंपनी पर कस गया है। सेबी ने कंपनी को जल्द से जल्द निवेशकों के सारे पैसे लौटाने के लिए कहा है, अगर कंपनी इसमें देरी करती है तो उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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