एक क्लिक में 66 साल के विवाद की ‘रेखा’ की पूरी कहानी

full-information-about-aksai-chin-and-indiachina-relationनई दिल्ली। एक बार फिर चीन लगातार भारत के सामने चुनौती खड़ा कर रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की घुसपैठ और जिद के कारण तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन ने अब तक पांच तंबू भारतीय सीमा में बना दिए हैं। लगातार कोशिश के बावजूद चीन मानने का नाम नहीं ले रहा है। चीनी सैनिकों ने तो यहां तक लिख दिया है कि आप चीन की सीमा में हैं। चलिए हम आपको भारतीय क्षेत्र जो कि अब चीन के कब्जे में हैं उसके बारे में बताते हुए कुछ इतिहास की बातें बताते हैं।

1962 में एशिया के दो बड़े देश आपस में टकराए इस युद्ध में सबसे बड़ी बात ये थी कि चीन ने भारत के भरोसे को तोडा था, आक्रमण करने की बात ना करके चीन ने वादा खिलाफी की और भारत के साथ युद्ध का एलान कर दिया। इस युद्ध से भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ा। चीन ने जब 1950 के दशक में तिब्बत पर कब्जा किया तो वहां कुछ क्षेत्रों में विद्रोह भड़के जिनसे चीन और तिब्बत के बीच के मार्ग के कट जाने का खतरा बना हुआ था। चीन ने उस समय शिंजियांग-तिब्बत राजमार्ग का निर्माण किया जो अक्साई चिन से निकलता है और चीन को पश्चिमी तिब्बत से संपर्क रखने का एक और जरिया देता है। भारत को जब यह जानकारी हुई तो उसने अपने इलाके को वापस लेने की कोशिश की। यह भी 1962 के भारत-चीन युद्ध का एक बड़ा कारण बना। चीन की बढती विस्तारवादी नीति का परिणाम ही था कि उसने हमारी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की लगभग 38 हजार वर्ग किलोमीटर की ज़मीन अपने कब्जे में कर ली थी।

वह रेखा जो भारतीय कश्मीर के क्षेत्रों को अक्साई चिन से अलग करती है वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में जानी जाती है। अक्साई चिन भारत और चीन के बीच चल रहे दो मुख्य सीमा विवाद में से एक है। चीन के साथ अन्य विवाद अरुणाचल प्रदेश से संबंधित है। अक्साई चिन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है।

करीब 4,057 किलोमीटर लंबी यह सीमा रेखा जम्मू-कश्मीर में भारत अधिकृत क्षेत्र और चीन अधिकृत क्षेत्र अक्साई चीन को अलग करती है। यह लद्दाख, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। यह भी एक प्रकार की सीज फायर क्षेत्र ही है। 1962 के भारत-चीन युद्घ के बाद दोनों देशों की सेनाएं जहां तैनात थी, उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया।

भारतीय पक्ष

ब्रिटिश भारत और तिब्बत ने 1914 में शिमला समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मैकमोहन रेखा का निर्धारण किया। यह भी मानना है कि इस सीमा रेखा का निर्धारण हिमालय के सर्वोच्च शिखर तक किया गया है।

चीनी पक्ष

मैकमोहन रेखा को अवैध मानता है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा की वास्तविक स्थिति कमोबेश यही है। इस क्षेत्र में हिमालय प्राकृतिक सीमा का निर्धारण नहीं करता, क्योंकि अनेक नदियां यहां से निकलती हैं और सीमाओं को काटती हैं।

विवाद के बिंदु

सिक्किम-तिब्बत सीमा को छोड़कर लगभग पूरी भारत-चीन सीमा रेखा विवादित है।

अक्साई चिन

जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पूर्व में विशाल निर्जन इलाका है। भारत का दावा लेकिन वास्तव में चीन का नियंत्रण है।

अरुणाचल प्रदेश चीन का दावा, लेकिन नियंत्रण भारत का।

अब आपको हम बताते हैं कि 2005 के प्रोटोकॉल में क्या प्रावधान है?

इस समझौते के अनुच्छेद 4 में दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव घटाने के तरीकों का जिक्र है। इसमें यह भी बताया गया है कि विवाद की स्थिति में दोनों सेनाएं अपने मूल स्थान पर लौट जाएंगी और तनाव कम करने की कोशिश करेंगी।

इसकेबाद दोनों पक्ष, अगर जरूरी हुआ तो, अपने मुख्यालय को फौरन बातचीत या कूटनयिक संपर्को के जरिए तनाव घटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सूचित करेंगे। सीमा पर तनाव की दशा में कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा। दोनों पक्ष यथास्थिति बनाए रखेंगे और आगे बढ़े हुए स्थान पर कोई स्थाई चौकी नहीं बनाएगा।

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