सरबजीत की मौत से प्यार और व्यापार दोनों में घाटा

सरबजीत की मौत से प्यार और व्यापार दोनों में घाटाअमृतसरर। शुक्रवार को दोपहर बाद दो बजे जिस समय सरबजीत का उसके पैतृक गांव भिखीविंड में अंतिम संस्कार हो रहा था, ठीक उसी समय पाकिस्तान के साथ व्यापार करने वाले अमृतसर एक्सपोर्टर चेंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव राजेश सेतिया के मोबाइल की घंटी बज उठी। जैसे ही राजेश ने फोन रिसीव किया उधर से आवाज आई ‘अस्सालवालेकुम भाईजान’ मैं वसीम अहमद बोल रहा हूं, लाहौर से। राजेश ने अभिवादन किया और फिर बातचीत शुरू की। बातचीत के दौरान व्यापार की कम और सरबजीत को लेकर अधिक बातें हुई।

वसीम अहमद ने कहा कि जो भी हुआ वह दोनों मुल्कों के रिश्तों के लिए अच्छा नहीं है। इससे प्यार व व्यापार दोनों में घाटा ही घाटा है। राजेश भी वसीम की बातों का समर्थन किया। बात व्यापार की आई तो वसीम ने कहा कि अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा, क्या पता दोनों मुल्कों के बीच सरबजीत मामले के बाद कैसे हालात रहते हैं, हालात पर डिपेंड है। लाहौर की मंडी भी सूनी पड़ी है। भारत के साथ व्यापारिक गतिविधियां पिछले दो दिनों से बिल्कुल ठप हैं। आज तो भारत से प्याज की गाड़ियां भी दोपहर तक नहीं आई। एक तो गर्मी की वजह से पहले ही व्यापार कम है, दूसरे सरबजीत मामले को लेकर दोनों देशों में सियासत की गर्मी की तपिश है। ऐसे में और आर्डर क्या दें व क्या लें।

वसीम अहमद पिछले 20 साल से भारत के साथ व्यापार कर रहे हैं। इस समय वह भारत से प्याज मंगवा रहे हैं। राजेश सेतिया बताते हैं कि उनकी आज कुछ पाकिस्तानी व्यापारियों से बात हुई है। सरबजीत मामले को लेकर पाकिस्तानी व्यापारी भी गमगीन हैं। खासतौर पर व्यापार गमगीन है। वैसे ही मई से जुलाई तक भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार थोड़ा कम होता है, लेकिन सरबजीत के मामले को लेकर व्यापार का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो आने वाला समय बताएगा।

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