नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम नए सत्र से लागू हो जाएगा। एकेडमिक काउंसिल की बैठक के बाद अब एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने भी कोर्स, सेलेबस, परीक्षा की योजना, मूल्यांकन और अन्य संशोधन को पास कर दिया है। एकेडमिक काउंसिल की 7 मई और 8 मई को 30 घंटे तक चली बैठक में 55 कोर्स पास हुए।
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एकेडमिक काउंसिल ने विभिन्न विभागों से विभागाध्यक्षों, शिक्षकों को इसमें शामिल किया था और हर बिंदु पर चर्चा हुई। एकेडमिक काउंसिल में 86 लोगों ने सहमति, जबकि छह लोगों ने असहमति जताई। वहीं एक्जीक्यूटिव काउंसिल में 19 लोगों ने सहमति और दो लोगों ने असहमति जताई।
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा यह जानकारी दी गई। ये कोर्स रोजगार, शोध योग्यता, आंतरिक गुणवत्ता से जुड़े हैं। चार वर्षीय कोर्स में दो वर्ष की शिक्षा लेने पर डिप्लोमा, तीन साल की पढ़ाई पर बैचलर डिग्री और चार वर्ष की पढ़ाई पर बैचलर विद आनर्स या बीटेक की डिग्री दी जाएगी। बृहस्पतिवार को एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में सदस्य आभादेव हबीब और अजय कुमार ने असहमति जताई लेकिन ये लोग सभी प्रक्रिया में शामिल रहे।
एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य डॉ. आदित्य नारायण मिश्र ने बताया कि एससी और एसटी का प्रवेश अब विकेंद्रीकरण व्यवस्था के तहत होगा। उन्होंने बैठक में कहा कि यदि कोई कॉलेज एससी, एसटी छात्रों को प्रवेश देने से मना करते हैं तो विश्वविद्यालय प्रशासन उस पर कड़े कदम उठाए। उन्होंने तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में भी कुलपति से कहा और कुलपति ने इस संबंध निर्णय लेने की बात कही।
कुलपति की प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं एक्जिक्यूटिव काउंसिल की सदस्य और सेव डीयू कैंपेन से जुड़ी आभा देव हबीब का कहना है कि उन्होंने सभी मुद्दों पर अपनी असहमति जताई क्योंकि कुलपति द्वारा की गई प्रक्रिया से वह संतुष्ट नहीं थी। उनका कहना था कि इस बैठक में कुलपति ने कानूनी सलाहकार बैठाया था जो एक्ट पढ़कर बता रही थीं। उनका यह आशय था कि हम बिना एक्ट पढ़े सभी चीजों को पास कर दें। उनका कहना है कि कुलपति कोर्ट को मीटिंग तक ले आए। उन्होंने एजेंडा समय से न मिलने पर भी आपत्ति जताई।