जेल पहुंचा सकती हैं साइट्स पर आपत्तिजनक टिप्पणियां

supreem courtनई दिल्ली। सोशल नेटवर्किंग साइट्स या ब्लॉग पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए किसी भी व्यक्ति को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की अनुमति के बगैर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हाल में सामने आए मामलों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्यों को इस बाबत केंद्र की एडवाइजरी का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद आइटी एक्ट की धारा 66ए (आपत्ति जनक टिप्पणियों से संबंधित) में गिरफ्तारी के बारे में केंद्र द्वारा गत 9 जनवरी को जारी एडवाइजरी का पालन करना राज्यों के लिए अनिवार्य हो गया है। इसके मुताबिक किसी को भी आइटी एक्ट की धारा 66ए में गिरफ्तार करने से पहले महानगरों में आइजी या डीसीपी या जिला स्तर पर एसपी स्तर के अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

रविवार को आंध्र प्रदेश में गैर सरकारी संगठन पीयूसीएल की कार्यकर्ता जया विंध्यालया को फेसबुक पर तमिलनाडु के राज्यपाल के. रोसैया और आंध्र प्रदेश के एक विधायक के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। कानून की छात्र श्रेया सिंघल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस तरह की गिरफ्तारियों पर रोक लगाने का आग्रह किया था।

न्यायमूर्ति बीएस चौहान और दीपक मिश्र की पीठ ने गुरुवार को श्रेया की याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि ऑनलाइन आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वालों की गिरफ्तारी पर पूरी तरह रोक लगाने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा, हम आइटी एक्ट की धारा 66ए के तहत गिरफ्तारी पर पूरी तरह रोक नहीं लगा सकते क्योंकि इस धारा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ ने भी कानून पर अंतरिम रोक नहीं लगाई है।

केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि सरकार ने इस तरह की गिरफ्तारियों के बारे में एडवाइजरी जारी की है, लेकिन कानून व्यवस्था का मामला राज्यों के कार्यक्षेत्र में आता है। श्रेया सिंघल ने इस अर्जी से पहले आइटी एक्ट की धारा 66ए की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका कोर्ट में दाखिल कर रखी है जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया। श्रेया सिंघल की मुख्य याचिका पर जुलाई में सुनवाई होनी है।

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