मुश्किल में माया के मंत्री

during-maya-government-theaseलखनऊ। आय से अधिक संपत्ति व भ्रष्टाचार के मामले में मायावती सरकार में मंत्री रहे रामअचल राजभर पर सतर्कता विभाग का शिकंजा कसता जा रहा है। राजभर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच एजेंसी अब सक्रियता से विवेचना में जुट गई है। एजेंसी को पर्याप्त साक्ष्य मिल गए हैं और कुछ औपचारिकता पूरी करने के बाद जल्द ही उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के लिए अनुमति मांगी जाएगी। राजभर के खिलाफ सतर्कता विभाग की गोरखपुर इकाई जांच कर रही है।

उन पर 10 अप्रैल को अंबेडकरनगर की कोतवाली में आय से अधिक व्यय, पद का दुरुपयोग व अन्य कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। दर्ज मुकदमे की विवेचना का कार्य अंतिम दौर में है। राजभर की संपत्तियों के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। 2007 के चुनाव में राजभर ने शपथपत्र में आर्थिक स्थिति का जो ब्योरा दिया था उसके मुताबिक कुल संपत्ति एक करोड़ थी और 2012 तक अरबपति हो गए। जांच में यह पाया गया कि बसपा सरकार में पांच साल तक मंत्री रहते हुए राजभर ने 10 अरब 33 करोड़ 97 लाख 50 हजार रुपये की संपत्ति बनाई। अब यही संपत्ति राजभर के गले की फांस बनने जा रही है।

पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम के खिलाफ प्राथमिकी

आजमगढ़। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में बसपा नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम यादव के खिलाफ मुबारकपुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। सतर्कता अधिष्ठान गोरखपुर के निरीक्षक सुरेश राम की तहरीर के आधार पर हाजीपुर बम्हौर ग्राम निवासी चंद्रदेव राम यादव के खिलाफ गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोप है कि सतर्कता विभाग की गई जांच में पूर्व मंत्री ने अपनी सालाना आय 14 लाख 61 हजार 992 रुपये जबकि व्यय 56 लाख 88 हजार 852 रुपये दर्शाया गया। इस तरह आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला सामने आने पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई। इस मामले की जानकारी होने पर पूर्व मंत्री के समर्थकों में मायूसी छा गई। देर शाम तक लोग उनके खिलाफ दर्ज मामले की जानकारी के लिए आपस में पूछताछ करते रहे।

रामवीर की बेनामी संपत्ति ढूंढ़ रही विजिलेंस

हाथरस। बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नजदीकी रहे पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय को विजिलेंस ने घेर लिया है। टीम शहर में डेरा डाले हुए है। रामवीर की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है और संपत्ति की पड़ताल की जा रही है। निशाने पर अब रामवीर और उनके परिजनों की बेनामी संपत्तियां हैं। सत्ता में रहकर अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोप में पिछली बसपा सरकार के नौ मंत्री फंसे हुए हैं। इनमें सिकंदराराऊ से बसपा विधायक और पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय भी हैं। बसपा शासन के अंतिम दौर में ही उनके खिलाफ शिकायतों का सिलसिला शुरू हो गया था। बड़ा मोर्चा सादाबाद से सपा विधायक देवेंद्र अग्रवाल और सहपऊ के अश्वनी शर्मा ने खोला था। दोनों ने रामवीर के खिलाफ लोकायुक्त के यहां अपील की थी। सत्ता परिवर्तन के बाद सपा की सरकार बनी तो विधायक देवेंद्र अग्रवाल उनके खिलाफ और मजबूती से खड़े हो गए। पिछले साल मई में लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्र ने सीबीआइ या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से रामवीर उपाध्याय की संपत्ति की जांच कराने की सिफारिश की। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जून में विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे।

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