दो राज्यों के बीच फंसी एक किडनी

rules-and-regulation-creates-problem-in-kidney-tranplantअमरोहा। सिस्टम व सरकारी की बाध्यताएं कई दफा इंसानियत व मानवता पर भारी पड़ जाती हैं। हादसे या अपराध के अति गंभीर घायल को भी तत्काल इलाज की जगह पुलिस और अस्पताल की कागजी औपचारिकताओं से जूझना पड़ता है। किडनी के आदान-प्रदान से जुड़े नियमों में लगने वाला खासा वक्त कभी-कभी रोगियों की जिंदगी पर भारी पड़ता है। इसी तरह की परिस्थिति से जूझ रहा है अमरोहा का एक रोगी।

जिंदगी के लिए गुर्दे की दरकार एक रिश्तेदार ने पूरी कर दी है लेकिन मरीज तक किडनी पहुंचने में दो राज्यों के नियम आड़े आ गए। तीस वर्षीय इस ग्रामीण मरीज को करीब तीन माह पहले बुखार हुआ था। कुछ दिन बाद वह पीलिया का रोगी भी बन गया। इलाज के बाद भी तबीयत बिगड़ती गई तो दिल्ली के सर गंगाराम हास्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां पता चला कि दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। जिंदा रहने के लिए डायलेसिस और एक किडनी बदली जाना जरूरी है।

मां, भाई व अन्य परिजनों ने किडनी देनी चाही, लेकिन ब्लड गु्रप मैच नहीं किया। कोशिशों के बीच रिश्ते के एक दामाद ने किडनी दान करने के लिए हामी भर दी। उसका ब्लड ग्रुप भी मैच कर गया। उसके आवेदन पर दिल्ली के सर गंगाराम हास्पिटल ने गौर शुरू करते हुए मरीज के मूल निवास क्षेत्र अमरोहा के प्रशासन से प्रत्यारोपण की अनुमति मांगी। किडनी दान लेने की अनुमति के लिए यह मामला अमरोहा की जिला अंग प्रत्यारोपण समिति के सामने रखा गया।

इस चर्चा में गुर्दे के दानदाता दिल्ली निवासी शख्स के नाते पहले दिल्ली सरकार की अनुमति लेने की शर्त का पेंच फंस गया। डीएम वीके पंवार के मुताबिक अंग प्रत्यारोपण समिति की ओर से दिल्ली सरकार को रिपोर्ट भेजी जा रही है। दिल्ली सरकार यदि अनुमति दे देगी तो किडनी प्रत्यारोपित की जा सकती है।

क्यों हुई सख्ती:-

रक्त की तरह किडनी बेचे जाने व बात अंगों की तस्करी तक पहुंचने के कारण सरकार को नियमों में सख्ती करनी पड़ी। कुछ वर्ष पहले मुरादाबाद से खुलासा हुए किडनी कांड में मान्य डाक्टरों की संलिप्तता व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंगों के व्यापार की बात सामने आने पर गुर्दा प्रत्यारोपण में सख्ती और बढ़ गई।

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