रेल घूस कांड में सीबीआइ को तगड़ा झटका

cbi jनई दिल्ली। रेल घूस कांड की जांच में सीबीआइ को बड़ा झटका लगा है। घोटाले के एक आरोपी सुशील डागा ने सरकारी गवाह बनने से इन्कार कर दिया है। इन्कार के बाद एजेंसी ने डागा को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में डागा ऐसा एकमात्र आरोपी था, जिसे गिरफ्तार नहीं किया गया था।

डागा के इन्कार के बाद सीबीआइ के पास आरोपियों के खिलाफ सुबूत के नाम पर सिर्फ टेलीफोन पर बातचीत के टेप बचे हैं। दरअसल फरीदाबाद का रहने वाला सुशील डागा उन तीन बिचौलियों में शामिल है, जो महेश कुमार के लिए 10 करोड़ रुपये की रिश्वत देने वाले नारायणराव मंजूनाथ और पूर्व रेलमंत्री के भांजे विजय सिंगला के साथ सीधे संपर्क में था। राहुल यादव के साथ सुशील डागा और समीर संधीर मंजूनाथ के लिए बिचौलिये का काम करते थे। इन्हीं तीनों के सहारे मंजूनाथ ने महेश कुमार को रेलवे बोर्ड में मेंबर (इलेक्ट्रिकल) बनाने की डील विजय सिंघला से की थी।

मंत्री जी के रिश्तेदारों पर भी मेहरबानी

बाद में इन्हीं के मार्फत सिंगला के पास 90 लाख रुपये भेजे गए। डागा से सात मई को सीबीआइ मुख्यालय में लंबी पूछताछ की गई थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हो गया था। सीबीआइ का मानना था कि आरोपियों के खिलाफ शिकंजा कसने में डागा का सहयोग अहम साबित हो सकता है। सीबीआइ ने मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज कराने की भी तैयारी कर ली थी।

सीबीआइ निदेशक के इरादों पर भी उठे सवाल

सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्टेट के सामने दिए बयान को सीबीआइ आरोपियों के खिलाफ सुबूत के रूप में पेश कर सकती थी। सरकारी गवाह बनने से इन्कार के बाद जांच एजेंसी ने सुशील डागा को भले ही गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन इससे सीबीआइ का पूरा केस कमजोर पड़ने का खतरा बढ़ गया है। सुबूत के नाम पर सीबीआइ के पास केवल बिचौलियों की बातचीत के टेप और 90 लाख रुपये हैं। इस मामले में अदालत के सामने पेश करने के लिए सीबीआइ के पास एक भी स्वतंत्र गवाह नहीं है।

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