चार वर्षीय कोर्स पर याचिकाकर्ताओं से मांगे लिखित सुझाव

courtनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रस्तावित चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम मामले में याचिकाकर्ताओं से लिखित सुझाव मांगे हैं।

अदालत ने दृष्टिबाधित छात्रों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को अपने सुझाव लिखित में देने को कहा और साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय की समिति के समक्ष अपनी शिकायतें दर्ज करवाने की छूट दी।

इससे पहले एक जनहित याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में डाली गई थी। जिसमें पाठ्यक्रम के वर्तमान स्वरूप को चुनौती दी गई थी। दिल्ली विवि इस साल जुलाई में शुरू हो रहे नए अकादमिक सत्र से चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम लागू करने वाला है। याचिका में कहा गया था कि अगर वर्तमान स्वरूप में चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम को लागू किया गया तो दृष्टि बाधित छात्रों को काफी नुकसान होगा क्योंकि उन्हें गणित और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ना होगा जिनसे उन्हें छूट दी गई है। याचिका में कहा गया कि पाठ्यक्रम की अनुशंसाएं जब की गई तो दृष्टिबाधित छात्रों की चिंताओं पर गौर नहीं किया गया।

याचिका में कहा गया कि दृष्टिबाधित छात्रों को कुछ मामलों में कक्षा आठ के बाद और अधिकतर मामलों में कक्षा दस के बाद विज्ञान और गणित पढ़ने से पूरी तरह छूट दी जाती है। इसमें कहा गया है कि अगर वर्तमान मंजूर कार्यक्रम को लागू किया जाता है तो चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम के पहले साल के फाउंडेशन पाठ्यक्रम की जरूरतों को ऐसे छात्र पूरी नहीं कर पाएंगे। इसमें 11 आवश्यक पाठ्यक्रम हैं जिसमें गणितीय क्षमता और विज्ञान व मानविकी शामिल है।

याचिका में अदालत से मांग की गई थी कि विश्वविद्यालय को निर्देश दे कि दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ब्रिज कोर्स की शुरुआत की जाए ताकि वे भी फाउंडेशन कोर्स करने में सक्षम हों। याचिका में कहा गया कि प्रत्येक साल बड़ी संख्या में दृष्टिबाधित छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में नामांकन चाहते हैं। उन्हें अन्य छात्रों के साथ फाउंडेशन पाठ्यक्रम से दूर नहीं किया जा सकता। इसलिए पाठ्यक्रम में ब्रिज कोर्स का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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