आगरा: बदमाशों से छूटा, पर फिर पिंजरे में ‘टाइगर’

eight-year-old-kids-tiger-wait-to-back-homeआगरा। उछल-कूद कर घर में दिनभर शोर मचाता। हरकतें करता दिनभर गली में खेलता-दौड़ लगाता, लेकिन अब टाइगर खामोश है। न खेलने की हसरत है और ना ही किसी से बात करना पसंद। ये मासूम आंखें अब हर किसी को घूरती हैं, इनमें तमाम खामोश सवाल तैर रहे हैं। सवाल उन अपहर्ताओं से, जिन्होंने बंधुआ मजदूर बनाकर यातनाएं दीं और सवाल उन खाकी वर्दी वालों से, जिन्होंने फिर उसके बचपन को पिंजरे’ में कैद कर दिया।

घुटते बचपन की ये कहानी है टाइगर की। ये आठ साल का वह मासूम है, जिसे करीब डेढ़ साल पहले हाईवे के किनारे खेलते समय एक कार में सवार कुछ लोग अगवा कर अपने साथ ले गए। इटावा में उसे एक घर में बंधक बनाए रखा। घर का सारा काम उससे कराया जाता। गलती होने पर बुरी तरह से पीटा जाता। पांच महीने पहले उसे अपहर्ता घर के बाहर पीट रहे थे, तभी वहां से निकल रहे पुलिसकर्मियों ने देखा तो उसे छुड़ा लिया। युवक वहां से भाग गए।

एक साल से गुमसुम मासूम फिर खिलखिलाया था। निश्चित ही उम्मीद जागी थी कि अब उसे फिर मां का आंचल और बाप का प्यार नसीब होगा। फिर उसी मस्ती से इठलाता पुलिसकर्मियों की उंगली थामे चल पड़ा होगा। लेकिन पुलिस ने उससे नाम-पता पूछा और उसे इटावा रेलवे स्टेशन से एक ट्रेन में बैठा दिया। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचा तो रेलवे पुलिस तक किसी ने पहुंचा दिया। वहां से उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया। बचपन फिर कैद में सिसकने लगा। जनवरी से वह राजकीय शिशु गृह में है।

दुलार ने जीता टाइगर का भरोसा:-

टाइगर ने यह कहानी अब खुद बताई है। अब तक वह राजकीय शिशु गृह में गुमसुम रहता था। कई बार काउंसिलिंग हुई, लेकिन वह कुछ बता नहीं सका। उसके घर का पता जानने के लिए बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने उससे घुल-मिलकर दोस्ती बढ़ाई, दुलार किया। फिर काउंसिलिंग की तो टाइगर ने बताया कि वह रुनकता, सिकंदरा का रहने वाला है। उसके पिता सुभाष, मां का नाम ममता और दादी शकुंतला हैं। भाई मनीष जनता मांटेसरी स्कूल में पढ़ता है।

बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कमलेश कुमारी का कहना है कि काउंसिलिंग के बाद टाइगर के परिजनों की जल्द तलाश कर उनके सुपुर्द करने की कार्रवाई की जाएगी।

रुनकता में नहीं मिला पता:-

टाइगर ने रुनकता में पिता का नाम सुभाष बताया। एक बिछुड़े बेटे को पिता से मिलाने के लिए जागरण ने खोजबीन की लेकिन पता चला कि रुनकता में इस नाम से कोई नहीं रहता। यही नहीं टाइगर का कहना है कि उसका भाई जनता मांटेसरी स्कूल में पढ़ता है लेकिन वहां इस नाम का कोई स्कूल भी नहीं निकला। ऐसे में माना जा रहा है कि टाइगर जगह का सही नाम नहीं बता पा रहा है।

राजकीय शिशु गृह में छह साल का राजकुमार भी परिजनों के इंतजार में है। राजकुमार अपने पिता का नाम बिज्जू और पता सेवला सदर बताता है। मासूम का कहना है कि माता-पिता की मौत के बाद वह ताऊ बच्चू सिंह के पास रहता था। पिछले दिनों बरात के साथ चलते हुए रास्ता भटक गया था, तभी से यहां रह रहा है।

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