बिजली के झटके से मनोरोगियों को मिलेगी निजात

mental-health-bill-bans-electric-shocks-gives-right-to-treatmentनई दिल्ली। सरकार की अगर चली तो मानसिक रोगियों को बिजली का झटका देकर ठीक करने वाली अमानवीय उपचार प्रणाली से जल्द निजात मिल सकती है। इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते नए मानसिक स्वास्थ्य बिल को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसमें मनोरोगियों को बेहोशी की दवा बगैर बिजली का झटका देने वाली उपचार प्रणाली को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है।
साथ उन्हें अपने इलाज का तौर-तरीका तय करने का अधिकार भी देने का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं प्रस्तावित बिल में मनोरोगियों के आत्महत्या को गैर आपराधिक कृत्य की श्रेणी में रखने की बात भी कही गई है।
स्वास्थ्य सचिव के देशीराजू ने रविवार को यह जानकारी दी। उनका कहना था कि संसद से मंजूरी मिल जाने के बाद यह बिल मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 का स्थान ले लेगी। देशीराजू ने बताया कि प्रस्तावित बिल के कानून में तब्दील हो जाने के बाद सभी को मानसिक चिकित्सा कराने का अधिकार स्वत: मिल जाएगा। इसके तहत चिकित्सक बेहोशी की दवा दिए बगैर किसी मानसिक रोगी का इलाज बिजली का झटका देकर नहीं कर सकता है। इससे उपचार की इस अमानवीय प्रणाली पर काफी हद तक रोक लगेगी।
स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, ‘देश में करीब एक से सवा करोड़ लोग सिजोफ्रेनिया जैसी अन्य गंभीर मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं। जबकि पांच करोड़ लोग अवसाद और तनाव के चलते इस बीमारी की चपेट में हैं।’ उन्होंने कहा कि देश में मानसिक रोगियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए ही उन्नत चिकित्सा प्रणाली लागू करने की जरूरत महसूस हो रही है। उम्मीद है प्रस्तावित बिल के प्रावधान मानसिक रोगियों के लिए कारगर साबित होंगे।
मैक्स अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. समीर मलहोत्रा का कहना है कि प्रस्तावित बिल के प्रभावी हो जाने के बाद मरीज के इलाज को लेकर चिकित्सकों के एकाधिकार में काफी कमी आ जाएगी। इससे मनोरोगियों को बिजली के झटके वाली इलाज प्रणाली से काफी हद तक निजात मिल सकती है।

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