उत्तराखंड: फिर से आए डरावने बादल, हजारों अभी भी फंसे

uttrakhandदेहरादून। उत्तराखंड पर कुदरत के कहर को बरसे सात दिन हो गए हैं और सेना पिछले छह दिनों से पहाड़ों में फंसी जिंदगियों को बचाने की मुहिम चला रही है। अब तक सेना ने 50 हजार से अधिक चिरागों को बुझने से बचा लिया है लेकिन सफर अभी लंबा है, वक्त कम है और राहें आसान नहीं है। सेना के लिए आने वाले 48 घंटे काफी मुश्किल भरे हो सकते हैं।

मौसम विभाग की चेतावनी के मुताबिक उत्तराखंड के उत्तरकाशी, कुमाऊं और रुद्रप्रयाग के आसमान पर बादल छाए हुए हैं और भारी बारिश की संभावना है। आने वाले 48 घंटों में सेना 60 हजार से अधिक जिंदगियों को सुरक्षित बाहर निकालकर लाना सेना के लिए बड़ी चुनौती है। अगर इन इलाकों में फिर से बारिश होती है तो सेना के बचाव अभियान में खलल पड़ सकता है। इधर, आपदा प्रबंधन की ओर से बयान आ रहा है कि आने वाले दो दिन टीम के लिए अहम है।

तस्वीरों में देखें केदारनाथ का खौफनाक मंजर

आशंका जताई जा रही है कि उत्तरकाशी और कुमाऊं में फिर से तबाही के बादल डराने के लिए आ रहे हैं। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि उत्तराखंड, उत्तरकाशी, जोशीमठ और कुमाऊं में रविवार को बारिश हो सकती है। अभी तक सेना का रेसक्यू ऑपरेशन पूरा भी नहीं हुआ है और ऐसे में फिर से यहां बारिश होना सेना के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है।

पढ़ें: धिक्कार है उन पर जो मुर्दो की जेबें टटोल रहे

शर्मनाक! आपदा में फंसी महिला श्रद्धालुओं पर हमला

इधर, रुद्रप्रयाग और केदारघाटी में सेना के जवान सुबह सात बजे से ही राहत कार्य में जुटे हैं। अब तक सेना ने 50 हजार से अधिक लोगों की जान बचा ली है, लेकिन अभी भी सफर लंबा है। कई हजार लोगों को बचाना बाकी है। 60 हजार से अधिक लोग अभी भी पहाड़ों में अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं। केदारनाथ के आसपास के जंगलों से 300 यात्री को बचा लिया गया है। गौरी गांव में बचाव अभियान तेज हो गया है। बदरीनाथ क्षेत्र से यात्रियों को निकालने का कार्य जारी है। आठ हजार से ज्यादा यात्री यहां अभी भी फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए हेलीकाप्टर की संख्या दो से बढ़ाकर सात कर दी गई है। पहाड़ों पर कुछ जगह ऐसी हैं जहां हैलीकॉप्टर नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहां सेना रस्सी से या फिर पैदल जाकर लोगों को बाहर निकालकर ला रही है। जंगलघाटी और गौरीकुंड में हैलीकॉप्टर न पहुंचने की वजह से वहां राहत कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

error: Content is protected !!