राहुल गांधी को हां, मोदी को ना, क्यों भई क्यों?

modiदेहरादून। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को गुप्तकाशी पहुंचकर आपदा पीड़ितों का दुख दर्द सुना। उन्होंने पीड़ितों को हरसंभव सहायता मुहैया कराने का आश्वासन दिया। उधर, मौसम खुलने के बाद दोपहर रुद्रप्रयाग से युद्ध स्तर पर राहत कार्य शुरू कर दिया गया है।

राहुल सोमवार को गुपचुप आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने रुद्रप्रयाग पहुंचे। आज सुबह उन्होंने गौचर से निजी कंपनी के हेलीकाप्टर से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी। करीब दस बजे राहुत गुप्तकाशी पहुंचे। वहां उन्होंने आपदा राहत शिविर पहुंचकर पीडितों का दुख दर्द बांटा। करीब पंद्रह मिनट वह पीडितों के बीच रहे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में जेबीसी से खुदाई कराकर मलबे में दबे शवों को तलाश जाएगा। राहुल का केदारनाथ जाने का कार्यक्रम भी था, लेकिन मौसम की खराबी की वजह से वह गुप्तकाशी से केदारनाथ के लिए उड़ान नहीं भर सके। फिलहाल वह गौचर वापस लौट आए।

खराब होते मौसम के बीच गोचर और फिर गुप्तकाशी के लिए रवाना हुए राहुल अब विपक्ष के निशाने पर आ सकते हैं। सवाल कई हैं जिनके जवाब केंद्र सरकार को देने हैं या फिर अकेली कांग्रेस को देने होंगे। पिछले तीन-चार दिनों से उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदल ली है। कहीं तेज तो कहीं मंदी बारिश ने एक बार फिर से यहां चल रहे राहत और बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न कर दी है। ऐसे खराब मौसम में राहुल का प्रभावित इलाकों के दौरे पर निकलना और वहां उतरना जहां कुछ दिन पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को उतरने से रोक दिया गया था, कई सवाल खडे़ कर रहा है।

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दरअसल जिस दिन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उत्तराखंड के प्रभावित इलाकों का दौरा किया था, उसी दिन नरेंद्र मोदी को भी वहां पर हवाई दौरा करना था और पीड़ितों से मिलना था। लेकिन गृहमंत्री ने ऐसा करने से उन्हें रोक दिया और उन्हें गोचर नहीं उतरने दिया। लेकिन आज भी वही जगह थी लेकिन यहां उतरने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी थे।

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ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर किन कारणों से मोदी को यहां उतरने से रोका गया और राहुल को यहां पर उतारकर आगे गुप्तकाशी के लिए रवाना कर दिया गया। गुप्तकाशी में मुमकिन है कि वह पीड़ितों से मुलाकात भी करेंगे और राहत कार्याें का जायजा भी लेंगे।

ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस या फिर यूं कहें केंद्र सरकार ने मोदी को गोचर में न उतरने की कहकर अपनी राजनीतिक चाल चली है। न मोदी वहां पर उतरेंगे न लोगों के बीच पहुंचेंगे और न ही अपनी बात कह सकेंगे। मोदी को यह कहकर वहां नहीं उतरने दिया गया था कि वह आम आदमी नहीं हैं और एक वीआईपी व्यक्ति होने के कारण वहां उतरने से राहत कार्य प्रभावित हो सकता है। लेकिन अब केंद्र सरकार राहुल के वक्त में यह बात भूल गई है।

उत्तराखंड के प्रभावित इलाकों को दौरा करने जब मोदी पहुंचे तो उन्होंने वहां पर केदारनाथ मंदिर का पुनरुद्धार का ऐलान कर दिया। लेकिन इसके जवाब में अब उत्तराखंड की सरकार ने मोदी के ऐलान को खारिज करते हुए अपने ही दम पर मंदिर का पुनरुद्धार कराने की बात कही है। इसका मकसद भी कहीं न कहीं साफ है कि कांग्रेस मोदी को किसी भी मुद्दे पर जीतते नहीं देखना चाहती है।

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