केदारनाथ मंदिर का होगा शुद्धिकरण, पूजा की तारीख तय नहीं

28_06_2013-28kedarnathदेहरादून। उत्तराखंड में मची तबाही के बाद सेना जहां अब भी राहत कार्य में जुटी है वहीं इस तबाही से सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त होने वाले केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू करने को लेकर मंदिर समिति की कसरत तेज हो गई है। शुक्रवार को केदारनाथ मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। समिति के सदस्य बताते हैं कि जब तक मंदिर का शुद्धिकरण नहीं होता है तब तक वहां पूजा शुरू नहीं हो सकती है। गुरुवार को हरिद्वार में मंदिर समिति की बैठक में ये फैसला किया गया है। आज मंदिर की सफाई करने के लिए एक दल केदारनाथ पहुंचेगा। मंदिर की साफ-सफाई के बाद ही पूजा कबसे शुरू होगी यह तय किया जाएगा।

इधर, खबर है कि सेना का राहत व बचाव अभियान आज खत्म हो सकता है। गौरतलब है कि केदारनाथ मंदिर की पूजा परंपरा को लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। मंदिर के पुजारी कहते हैं कि जब तक मंदिर साफ नहीं होता है वहां पूजा शुरू नहीं की जा सकती है।

आराम फरमा रहे हैं उत्तराखंड के उड़नखटोले

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बैठक के दौरान कहा, हमने अपनी एक टीम मंदिर भेज दी है लेकिन जब तक सरकार इस मामले पर अपनी रजामंदी नहीं देती है तब तक कुछ नहीं हो सकता है।

उधर, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस संबंध में जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से टेलीफोन पर बात की है। बताया गया है कि इस पर उन्होंने अपनी सहमति दे दी है। विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में संपन्न हुई बद्री-केदार मंदिर समिति की बैठक में फैसला लिया गया कि 22 सदस्यीय दल 29 जून को केदारनाथ मंदिर के लिए रवाना होगा।

मौत के तांडव से पुजारी भयभीत, जवान कर रहे हैं दाह संस्कार

पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से हेलीकॉप्टर से मंदिर समिति के कर्मचारी वहां पहुंचेंगे। इसमें दो पुजारी भी होंगे।

मंदिर परिसर और गर्भ गृह समेत सभी स्थानों की सफाई व धुलाई कराई जाएगी। इसके बाद हवन कर मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। पहले चरण में ये कार्य पूरे होने पर मंदिर में पूजा की तिथि निर्धारित कर दी जाएगी।

इस बारे में डीएम दिलीप जावलकर का कहना है कि मंदिर समिति के कार्य में प्रशासन का दखल नहीं होता, ये मंदिर समिति खुद फैसले करती है। बैठक में मंदिर समिति के कार्याधिकारी अनिल शर्मा, मंदिर अधिकारी भूपेंद्र मैठाणी, विधि अधिकारी एसएस बर्तवाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सुरेशानंद मैदूली, पुजारी शिवशंकर लिंग, टी गंगाधर लिंग शामिल थे।

error: Content is protected !!