ये भी मौत के मुंह से बचा लाए जिंदगी

28_06_2013-28NIMउत्तरकाशी (पुष्कर सिंह रावत)। आपदा में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए केदारघाटी में सेना, आइटीबीपी और एनडीआरएफ के जांबाज उम्मीद की किरण बनकर सामने आ रहे थे, वहीं यमुना वैली के आपदा प्रभावित इलाकों में कुछ इसी अंदाज में एनआइएम (नेहरू पर्वतारोहण संस्थान) के प्रशिक्षु भी जान की परवाह किए बगैर फंसे लोगों का सहारा बने। 22 जून की रात करीब एक बजे मनेरी में एनआइएम की टीम के कैंप पर एक पोर्टर ने दस्तक दी। बताया कि डिडसारी गांव स्थित एक आश्रम में 42 विदेशी पर्यटक फंसे हैं।

एनआइएम के जोशीले युवाओं से भरी टीम ने कुछ देर में ही डिडसारी गांव का रुख किया। गांव का पुल भागीरथी की प्रचंड लहरों से टूट चुका था। इसलिये मनेरी बैराज से होते हुए जंगल के रास्ते करीब छह किमी पैदल चलकर आश्रम तक पहुंचे। वहां से मदद की गुहार लगा रहे विदेशी पर्यटकों को सकुशल निकालकर मनेरी तक पहुंचाया।

एनआइएम के 20 प्रशिक्षकों ने सौ स्थानीय युवाओं को लेकर 19 जून को गंगोत्री रूट पर विभिन्न जगहों पर फंसे यात्रियों को निकालने का काम शुरू किया। सुक्की बैंड से डबराणी तक सीधी खड़ी पहाड़ियों पर रस्सी के सहारे यात्रियों को चढ़ने और उतारने का काम इन युवाओं ने बखूबी निभाया।

प्रशिक्षक राकेश राणा व दशरथ रावत बताते हैं कि सभी सौ युवा एनआइएम के बेसिक और एडवांस कोर्स कर चुके हैं। लिहाजा पहाड़ों की हर कठिनाई से अच्छी तरह वाकिफ हैं। तीन सदस्य केदारघाटी में भी जुटे हैं।

कर्नल अजय कोठियाल, प्रधानाचार्य, एनआइएम के प्रधानचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि एनआइएम ने इस आपदा में अपने रेसक्यू अभियान को सफल किया है, फिलहाल संस्थान खुद को आपदाओं में रेस्क्यू के लिए और अधिक सक्षम बनाने के साथ ही प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय बनाने पर काम कर रहा है।

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