आइबी के विशेष निदेशक के खिलाफ साक्ष्यों की होगी जांच

01_07_2013-ishratcase1नई दिल्ली [नीलू रंजन]। आखिरकार इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ केस में गृह मंत्रालय का दबाव रंग लाया है। मंगलवार को दाखिल होने वाली चार्जशीट में सीबीआइ न सिर्फ इशरत और उसके दो पाकिस्तानी साथियों को आतंकी करार देगी, बल्कि खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार को आरोपी भी नहीं बनाया जाएगा। इस बारे में सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। वहीं गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने कहा है कि वह आइबी के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार के खिलाफ उपलब्ध साक्ष्यों और तथ्यों की पड़ताल करेंगे कि वरिष्ठ आइपीएस अफसर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं या नहीं।

गृह मंत्रालय चार साल की चुप्पी तोड़ते हुए न सिर्फ इशरत और उसके साथियों को लश्कर आतंकी बता रहा है, बल्कि उनकी गतिविधियों की जानकारी गुजरात पुलिस को देने वाले राजेंद्र कुमार को आरोपी बनाने का भी विरोध कर रहा है। गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि उसकी अनुमति के बिना राजेंद्र कुमार को आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए, जबकि सीबीआइ को अच्छी तरह मालूम है कि इसकी अनुमति नहीं मिलेगी।

जांच एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय के साथ टकराव को देखते हुए आरोपपत्र में राजेंद्र कुमार को शामिल नहीं किया गया है। सीबीआइ अदालत को बताएगी कि साजिश में राजेंद्र कुमार की संलिप्तता की जांच अभी की जा रही है। चार्जशीट को अभी तक निदेशक रंजीत सिन्हा की हरी झंडी नहीं मिली है।

माना जा रहा कि वह इस पर सोमवार को अंतिम फैसला लेंगे। सीबीआइ अपने आरोपपत्र में इशरत और उसके तीन साथियों को लश्कर-ए-तैयबा आतंकी बताने की तैयारी में है। दरअसल, फर्जी मुठभेड़ में इशरत के साथ तीन अन्य लोगों को मारा गया था, जिनमें दो पाकिस्तानी आतंकी थे और उन्हें गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए भेजा गया था। जाहिर है इस तथ्य को छुपाना सीबीआइ के लिए संभव नहीं है।

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