सपनों को उड़ान देना तो कोई कल्पना से सीखे

01_07_2013-1kalpanaनई दिल्ली। कल्पना चावला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। इस सफलता को हासिल करने के बाद वे लाखों महिलाओं की प्रेरणा बन गई। भले ही कल्पना ने छोटे से शहर में जन्म लिया हो, लेकिन सपने वे आसमां छूने के देखती थीं और उनकी ये सोच ही कई पीढि़ तक महिलाओं को कुछ कर गुजरने का हौसला देती रहेगी।

1 जुलाई, 1961 में हरियाणा के करनाल जिले में उनका जन्म हुआ था। कल्पना के पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी।

शिक्षा

कल्पना चावला ने करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक और चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए टेक्सास विश्वविद्यालय गई, जहां से उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमए किया। 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया।

पहली अंतरिक्ष यात्रा

कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा एसटीएस-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई। इस यात्रा की अवधि 19 नवंबर 1997 से लेकर 5 दिसंबर, 1997 तक रही। कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन पर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।

कल्पना चावला एक जज्बा

भले ही कल्पना आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने जज्बे से जो मिशाल कायम की है इससे वे अमर हो चुकी हैं। महिला सशक्तिकरण की राह में कल्पना चावला ने नई इबारत लिखी है।

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