मुसलमानों के दुश्मन साबित हुए मुलायम

Mulayam-Singh-Yadavमामला सिर्फ बयानों तक ही नहीं सिमटा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा आडवाणी की तारीफ, बाबरी विध्वंस के दौरान गोलीबारी पर भूल चूक वाले बयान की जुबानी बात भर नहीं है। जमीनी हकीकत भी अब मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार को मुसलमानों से दूर कर रही है। पिछले साठ दिनों से लखनऊ में चल रहे रिहाई मंच के धरने के तंबू को जिस तरह से पुलिस ने उठाकर प्रदर्शनकारियों को वहां से जाने के लिए कह दिया है, उससे आहट मिलती है कि मुलायम सिंह यादव मुसलमान सापेक्ष सरकार चलाने की बजाय हिन्दू सापेक्ष सरकार चलाने को समाजवाद के ज्यादा अनुकूल पा रहे हैं।

पुलिस हिरासत में खालिद मुजाहिद की मौत के बाद 20 मई से रिहाई मंच नामक एक संगठन लखनऊ में एक अनिश्चितकालीन धरना संचालित कर रहा था। धरने पर बैठनेवाले लोगों की मांग है कि खालिज मुजाहिद की “हत्या” की जांच करवाई जाए और दोषी पुलिसवालों को दंडित किया जाए। धीरे धीरे दो महीने बीत गये लेकिन अनिश्चितकालीन धरना अंतहीन होता चला गया। इस बीच दिल्ली से सीपीएम नेता प्रकाश कारत भी धरने को संबोधित कर आये और यूपी तथा लखनऊ के दर्जनों सेकुलर कार्यकर्ता और गैरसरकारी संगठन के प्रमुख धरने को अपना समर्थन दे चुके हैं। रिहाई मंच खुद पीयूसीएल से जुड़े नौजवान चला रहे हैं जिनका मकसद है कि प्रदेश में आंतकवाद के नाम पर जिन मुसलमानों को कैद किया गया है सरकार उनको रिहा करे।

लेकिन अभी 20 जुलाई को धरने के 60 दिन पूरे होते इसके पहले ही 18 जुलाई की शाम को धरने का तंबू उखाड़ दिया गया। इस संबंध में रिहाई मंच ने एक पत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी लिखा है जिसमें कहा है कि धरने को जानबूझकर खत्म करने की साजिश के तहत पुलिस ने हमारा उत्पीड़न किया है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में रिहाई मंच की ओर से जो जानकारी दी गई है उसमें कहा गया है कि 17 जुलाई को स्थानीय चौंकी इंचार्ज ने उनके एक प्रवक्ता शाहनावाज आलम को बुलाया था और साफ साफ कहा कि वे लोग अब धरना खत्म कर दें, क्योंकि उनके धरने से सांप्रदायिकता फैल रही है। रिहाई मंच के लोगों का कहना है कि उस वक्त जब चौकी इंचार्ज से बात हो रही थी तो एक अज्ञात व्यक्ति सफेद लिबास में बैठा था जिसके बारे में जानकारी मांगने पर न तो उस व्यक्ति ने अपना परिचय दिया और न ही पुलिस ने उसके बारे में कुछ बताया। लेकिन पुलिस के साथ हुई इस बातचीत के बाद 18 जुलाई को तंबू उखाड़ दिया। हालांकि इसके बाद भी अनिश्चितकालीन धरने के कार्यक्रम पूर्ववत जारी रहे और 20 जुलाई को वे लोग बड़े प्रदर्शन की तैयारी भी कर चुके हैं।

19 जुलाई को रिहाई मंच के धरने का समर्थन करने पहुंचे मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय ने कहा कि तंबू उखाड़ देने से धरना नहीं उखड़ेगा और सरकार को खालिद मुजाहिद के हत्यारों को सजा देनी होगी और निमेश आयोग की रिपोर्ट को लागू करना होगा। धरने को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि खालिद के इंसाफ के लिए चल रहे धरने का मंच उखडवाकर सपा सरकार ने साबित कर दिया है कि इंसाफ की मांग करने वालों के साथ वह किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि सपा अब मुसलमानों के बीच इस घटना के बाद पूरी तरह बेनकाब हो गई है और इस घटना के बाद अब सपा की उल्टी गिनती शुरु हो गई है।

बहराहल, तंबू उखाड़ने के बाद भी रिहाई मंच ने अपना अनिश्चितकालीन धरना जारी रखने का निर्णय लिया है और धरने का समर्थन करनेवाले लोगों से अपील किया है कि अब वे धरने पर आयें तो छाता लेकर आयें ताकि बारिश और धूप से बच सकें।
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