असम हिंसा की जड़ वोट बैंक की राजनीति: भाजपा

असम में केंद्र सरकार की वोट बैंक की राजनीति राज्य की समस्या की जड़ है। बृहस्पतिवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने असम हिंसा पर बहस के दौरान सरकार को घेरते हुए कहा कि असम यूपीए के हाथों बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। वहां कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति की वजह से ही हिंसक हालात पैदा हो गए हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की मौजूदगी में जेटली के इस गंभीर बयान पर पूरा यूपीए शांत रहा। सरकार की ओर से किसी सदस्य ने इस आरोप पर किसी तरह का विरोध नहीं जताया। जेटली ने यहां तक कह डाला कि असम के हालात से निपटने में सरकार का रवैया सरकारी बाबुओं की तरह है।

जेटली के आरोपों पर सरकार के किसी सदस्य ने आपत्ति नहीं जताई। विपक्ष के गंभीर सवालों का तर्कसंगत जवाब देने के बजाय शिंदे ने बुधवार को लोकसभा में असम पर दिए गए बयान की कॉपी ही पढ़ डाली। शिंदे ने दोहराया कि सरकार असम को लेकर काफी गंभीर है। सीबीआई ने ताजा हिंसा की जांच शुरू कर दी है और सेना को सतर्क रहने को कह दिया गया है।

असम हिंसा मुद्दे पर अल्पकालीन बहस के दौरान जेटली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को असम से ही उनके राज्यसभा सदस्य होने की बात याद दिलाई। जेटली ने कहा कि इस नाते भी उन्हें असम को गंभीरता से लेना चाहिए। जेटली के मुताबिक सरकार को असम में वोट बैंक की नीति पर पुनर्विचार कर बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से उपजी असल समस्या पर चोट करनी चाहिए। असम समस्या पर बोलने के लिए पूरी तैयारी के साथ आए जेटली ने कहा कि सरकार ने राज्य में विदेशी कानून को खत्म कर घुसपैठियों को बढ़ावा दिया है।

इससे स्थानीय लोगों पर दबाव बढ़ा और हिंसा की वजह यही है। जेटली ने मनमोहन सिंह और शिंदे को संबोधित करते हुए कहा कि वह असम सहित पूरे इलाके की समस्या की जड़ में जाकर एक साफ सुथरी नीति अपनाएं। जेटली के मुताबिक सरकार की नीतियों की वजह से एक बार कोई विदेशी सीमा पार कर चला आए तो उसे वापस भेजना मुश्किल हो गया है। असम के लोगों के वोट नहीं मिलने की वजह से कांग्रेस सरकार घुसपैठियों को वैकल्पिक वोट बैंक के तौर पर देख रही है। इस नीति ने पूरे राज्य को खतरे में डाल दिया है।

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