अलग तेलंगाना राज्‍य पर मुहर, हैदराबाद पर माथापच्‍ची

telenganaनई दिल्‍ली। अलग तेलंगाना राज्‍य के मुद्दे को वर्षों से लटकाती आ रही यूपीए सरकार ने आखिरकार आज हुई एक बैठक में अहम फैसला ले लिया। यूपीए समन्‍वय समिति की बैठक के दौरान कांग्रेस ने सभी साथी दलों से तेलंगाना के मसले पर बात की और अलग तेलंगाना राज्‍य बनाने के पक्ष में फैसला लिया। सभी साथी दलों ने अलग तेलंगाना राज्‍य के मामले पर अपनी सहमति जताई है। सूत्रों का कहना है कि यूपीए ने फैसला ले लिया है, लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा अभी होनी बाकी है। ध्‍यान रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को आंध्रप्रदेश से 33 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार राज्‍य में उसकी हालत खराब है। ऐसे में देखना होगा अलग तेलंगाना राज्‍य के पक्ष में खड़े होकर कांग्रेस नुकसान की कितनी भरपाई कर पाती है।
जानकारों का ये भी मानना है कि आंध्र में बड़ा तबका अलग राज्‍य के पक्ष में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस फूंक फूंककर कदम रख रही है। तेलंगाना मुद्दे पर सबसे अहम और गंभीर मसला राजधानी हैदराबाद को लेकर भी है। तेलंगाना आंदोलनकारी हैदराबाद को छोड़ने को तैयार नहीं हैं और उनका मानना है कि आंध्र के लिये नई राजधानी बननी चाहिये। बहरहाल, कांग्रेस ने राजधानी के मसले पर अभी अपने पत्‍ते नहीं खोले हैं, लेकिन ये साफ है कि अगले लोकसभा सत्र में तेलंगाना पर यूपीए सरकार विधेयक पेश करेगी। इस मुद्दे पर गृहमंत्री सुशील शिंदे, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और गुलाम नवी आजाद सोनिया से मिलने उनके आवास 10 जनपथ पहुंचे। इससे पहले सोनिया ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात की। उधर, मनमोहन आज सीडब्ल्यूसी की बैठक खत्म होने के बाद आंध्र प्रदेश के नेताओं से मुलाकात करेंगे।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने भी दी हरी झंडी
यूपीए समन्‍वय समिति की बैठक के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई। इसमें भी अलग राज्‍य को हरी झंडी दे दी गई है। बैठक में सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद समेत कई वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता मौजूद थे, जिन्‍होंने सर्वसम्‍मति से अलग तेलंगाना राज्‍य को मंजूरी दे दी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के फैसले के हिसाब से यूपीए कैबिनेट लोकसभा में बिल लाएगी, जिसे अगले ही सत्र में पेश किया जाएगा।

कैबिनेट की विशेष बैठक
तेलंगाना मुद्दे पर कैबिनेट की विशेष बैठक बुधवार को होगी, जिसमें बिल की तैयारी की जाएगी। दूसरी ओर तेलंगाना के लिये लड़ने वाली टीआरएस ने फैसले पर खुशी जताई है। वहीं आंध्र की कांग्रेस सरकार के सीएम किरण रेड्डी ने फैसले पर खुशी जताने वालों से कहा है कि अभी कुछ कहना जल्‍दबाजी होगी। उन्‍होंने कहा कि पहले लोकसभा में बिल पास हो जाने दें। ध्‍यान रहे कि रेड्डी को अलग तेलंगाना विरोधी माना जाता है।

हैदराबाद संयुक्‍त राजधानी बनाने का प्रस्‍ताव
कांग्रेस वर्किंग कमेटी में चर्चा के बारे में सूत्रों ने बताया है कि हैदराबाद को संयुक्‍त राजधानी बनाने का प्रस्‍ताव रखा गया है। हालांकि, दोनों की पक्ष इस मुद्दे सहमत नहीं हैं। तेलंगाना समर्थक आंध्र के लिये अलग राजधानी की बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर रेड्डी समेत दूसरा वर्ग हैदराबाद को छोड़ने को तैयार नहीं है।

इसी सत्र में तेलंगाना पर बिल!
जानकारों के मुताबिक कार्य समिति में फैसले के बाद संसद के इसी सत्र में तेलंगाना पर बिल लाया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस के भीतर अब भी इस फैसले को लेकर विरोध है। तेलंगाना मुद्दे पर आंध्रप्रदेश एक बार फिर उबल रहा है। सीमांध्र यानी रायलसीमा और तटीय इलाके से आने वाले तमाम केन्द्रीय मंत्रियों ने इस्तीफा देने की धमकी दी है। खबर है कि कांग्रेस ने अलग तेलंगाना राज्य बनाना तय कर लिया है।

बैठक में अहम प्रस्‍ताव
सूत्रों के मुताबिक नए राज्य का नाम रायल-तेलंगाना हो सकता है। तेलंगाना में आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, मेडक, वारंगल, खम्मम, रंगारेड्डी, नालगोंडा, महबूबनगर और हैदाराबाद जिलों के अलावा रायलसीमा के दो जिलों कुरनूल और अनंतपुर को भी जोड़ने का प्रस्ताव है।

5 साल तक हैदराबाद राजधानी
दलील ये है कि ऐसा करने पर कृष्णा नदी के जल बंटवारे का सवाल खत्म हो जाएगा। फॉर्मूले के मुताबिक हैदराबाद पांच सालों तक दोनों राज्यों की राजधानी रहेगा। इस दौरान आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनेगी और हैदराबाद रायल-तेलंगाना की राजधानी रहेगी। हालांकि तेलंगाना समर्थकों के मुताबिक इस फार्मूले में तर्क कम और राजनीतिक हित की चिंता ज्यादा है। माना जा रहा है कि ऐसा करके कांग्रेस तेलंगाना का जातीय समीकरण अपने पक्ष में करना चाहती है। इसे लेकर तेलंगाना एक्शन कमेटी संतुष्ट नहीं दिख रही है। ज्वाइंट तेलंगाना एक्शन कमेटी के अध्यक्ष एम कोदंदराम ने कहा कि ये हमें पसंद नहीं है। हम चाहते हैं कि तेलंगाना के 10 जिले मिलाकर तेलंगाना राज्य बनाया जाए।

तेलंगाना का विरोध भी तेज
रायल तेलंगाना के विरोध में तेलंगाना ज्वाइंट एक्शन कमेटी 1 सितंबर को हैदराबाद में धरना प्रदर्शन करने वाली है। कांग्रेस में भी खलबली है। सूत्रों के मुताबिक तीन दिन पहले मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने दिल्ली में कांग्रेस महासचिव और आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह के अलावा तेलंगाना के मुद्दे पर हाईकमान की तरफ से बातचीत कर रहे गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान रेड्डी ने कहा कि वो मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य का बंटवारा नहीं देख सकते। इसके बाद रेड्डी की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कराई गई। सूत्रों के मुताबिक नाराज सोनिया ने पूछा कि पहले उन्होंने ये दलील पहले क्यों नहीं दी।

विपक्ष ने कहा, सियासी दांव
हाईकमान के रुख से साफ है कि तेलंगाना पर फैसला सिर्फ औपचारिकता है। उधर, विपक्ष का आरोप है कि ये कांग्रेस का सियासी दांव है। वो तेलंगाना में समर्थन और आंध्र इलाके में विरोध का ड्रामा कर रही है । 2009 में भी घोषणा के बाद तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया टाल दी गई थी। उधर, खबर ये भी है कि किरण कुमार रेड्डी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा कर नए राज्य का निर्माण शुरू किया जाए। कानून व्यवस्था के लिहाज से भी ये अच्छा होगा। तेलंगाना राज्य के मुद्दे पर अब सभी की निगाहें कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक पर लगी हैं। लेकिन सवाल केवल तेलंगाना का नहीं है। अगर सीडब्ल्यूसी में अलग तेलंगाना राज्य पर मुहर लगती है तो कई दूसरे छोटे राज्यों की मांग भी जोर पकड़ जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सीडब्ल्यूसी में दूसरे छोटे राज्यों के सवाल पर भी चर्चा हो सकती है।

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