नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में मुजफ्फरनगर दंगों को निंदनीय बताया। उन्होंने सभी राज्य से अपील की कि राज्य सरकारें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं। उन्होंने मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान सोशल मीडिया पर भी निशाना साधते हुए एक वीडियो का जिक्र किया। हालांकि उन्होंने सोशल मीडिया की आजादी को भी जरूरी बताया।
हालांकि इस बैठक में शिवराज सिंह चौहान के अलावा भाजपा का कोई मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुआ। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, परंतु गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह इस बैठक में शामिल नहीं हुए।
इसको लेकर भी पीएम ने भाजपा पर निशाना साधने की कोशिश की। मनमोहन ने अपने संबोधन में कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद इस बैठक की अहमियत बढ़ी है। पीएम ने कहा कि हिंसा को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने महिलाओं के साथ हिंसा को बेहद शर्म की बात बताया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पिछड़े तबकों को मुख्यधारा से जोड़ने को भी जरूरी बताया।
पीएम ने कहा कि दंगे की घटनाएं एक ऐसी सांप्रदायिक दरार को जाहिर करती हैं जो हमारे देश के कौमी एकता के खिलाफ है और सभी को इसकी निंदा करनी चाहिए। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी बात कही है। मनमोहन सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि राष्ट्र विरोधी ताकतें संप्रदायों के बीच मतभेदों को गहरा करने और उनका फायदा उठाने में समय-समय पर कामयाब हो रही हैं।
पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि सांप्रदायिक दुश्मनी से देश में किसी को फायदा नहीं होने वाला है। साथ ही उन्होंने सभी दलों से अपील की कि देश में सांप्रदायिक एकता को बरकरार रखने में मदद करें। अपने भाषण में उन्होंने मुजफ्फरनगर दंगों को न रोक पाने के लिए राज्य प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वह न सिर्फ तेजी से छोटी घटनाओं को बड़ा रूप लेने से रोके, बल्कि सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द से जल्द सजा भी दिलवाए।
हालांकि पीएम ने इस बात की हिदायत भी दी कि सरकार की कार्रवाई कानून के मुताबिक होती दिखाई पड़नी चाहिए ताकि सभी धमरें के नागरिकों को बराबरी का भरोसा बना रहे। अपने भाषण में पीएम ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर तबकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार भी चिंता जताई है। सोशल मीडिया पर पीएम ने कहा कि यह एक नया माध्यम है इसका इस्तेमाल सकारात्मक तरीके से किया जाना चाहिए ताकि सांप्रदायिक एकता बनी रहे। उन्होंने इसके दुरुपयोग को रोकने पर भी बल दिया।
गौरतलब है कि एनआईसी की मीटिंग के दौरान नीतीश कुमार बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी से मिले. एनडीए से हटने के बाद आडवाणी से नीतीश कुमार की ये पहली मुलाकात है.