कानपुर: मोदी की रैली के लिए जमीन पड़ी कम, नहीं मिलेगा फूलबाग मैदान

29_06_2013-nmodi29लखनऊ। कानपुर में 19 अक्टूबर को प्रस्तावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदीकी रैली अब फूलबाग मैदान में नहीं होगी। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय पर हुई बैठक में पदाधिकारियों को रैली के लिए फूलबाग के अलावा कोई अन्य उपयुक्त स्थान के चयन करने का निर्देश दिया है।

बैठक में यह बात सामने आई कि पार्टी जिस बड़े पैमाने पर कानपुर में भाजपा नेता नरेंद्र मोदी की रैली आयोजित कर सूबे में अपने चुनावी अभियान का श्री गणोश करना चाहती है उसके लिए फूलबाग का मैदान छोटा पड़ेगा। इसपर शाह ने पार्टी पदाधिकारियों को रैली के लिए कोई और उचित स्थान खोजने को कहा है।

भाजपा ने बुद्धा पार्क की मांगी अनुमति

कानपुर में 19 अक्टूबर को प्रस्तावित नरेंद्र मोदी की रैली पर अभी तक बादल नहीं छंट पाए हैं। पहले तिथि तो अब स्थान को लेकर भाजपाइयों में ऊहापोह है। जिस ऐतिहासिक फूलबाग मैदान पर रैली की अनुमति के लिए कई दिनों से भाजपाई जद्दोजहद कर रहे थे, शुक्रवार को खुद ही इसे लेने से इनकार कर दिया।

भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी ने इंदिरा नगर बुद्धापार्क के सामने खाली पड़े मैदान में रैली करने को अनुमति मांगी है। शनिवार से जिला प्रशासन भाजपाइयों के नए आवेदन पर अनुमति देने पर विचार करेगा। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई ने बताया कि 19 की रैली में भारी भीड़ जुटने की संभावना है जब कि फूलबाग मैदान की क्षमता महज 50 हजार लोगों की है। जब मैदान की नापजोख की गई तो भीड़ के लिहाज से काफी छोटा साबित हुआ। इस पर इंदिरानगर स्थित बुद्धा पार्क के सामने खाली पड़े मैदान को मांगा गया है। एडीएम सिटी अविनाश सिंह ने बताया कि भाजपा जिलाध्यक्ष ने खुद ही फूलबाग मैदान के लिए मना कर बुद्धा पार्क के लिए लिखित रूप से पत्र दिया है। शनिवार को अधिकारियों को मैदान में भेजकर अनुमति की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।

तारीख व मैदान में फंसी तैयारियां

मोदी की कानपुर रैली की तारीख और मैदान ने तैयारियों को उलझा कर रख दिया है। पहले रैली की तारीख 15 अक्टूबर और इसके कुछ दिन बाद ही उसे 19 अक्टूबर कर दिया गया। तर्क दिया गया कि वह दशहरे और बकरीद के बीच पड़ रहा है। इसके बाद भाजपा ने पहले निराला नगर का रेलवे मैदान मांगा। यह जानते हुए भी कि वहां पर 2004 के शासनादेश में मैदान का राजनीतिक प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इसके बाद फूलबाग मैदान लेने की बात हुई। ऐतिहासिक मैदान पर कुछ वर्षो से रैली करने पर रोक लगी थी। मैदान की क्षमता कम होने की बात कह शुक्त्रवार को उसे भी रद कर दिया गया। इतिहास गवाह है कि फूलबाग में दर्जनों बड़ी रैलियां हो चुकी हैं और हर रैली के पहले मैदान की नापजोख की जाती है। बुधवार को भी सभी भाजपा विधायक और वरिष्ठ भाजपाइयों ने जिलाधिकारी के आवास पर जाकर फूलबाग की अनुमति के लिए दबाव बनाया था।

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