सीबीआइ खोलेगी कारपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के राज

Nira-Radiaनई दिल्ली। कारपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया और उनसे बातचीत के दौरान कानून की धज्जियां उड़ाकर विभिन्न सरकारी विभागों में काम कराने का दावा करने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने का रास्ता साफ हो गया है। लगभग छह हजार बार की बातचीत के टेपों में से सुप्रीम कोर्ट ने 12 की बातचीत को आपराधिक साजिश मानते हुए सीबीआइ को जांच करने का आदेश दिया है। पांच साल पहले आयकर विभाग ने नीरा राडिया के फोन को सर्विलांस पर रखा था और बाद में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के सिलसिले में सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे पूछताछ की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ नए सिरे से प्रारंभिक जांच का केस दर्ज इनकी तफ्तीश करेगी।

12 मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपने के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका से संबंधित एक मामला मुख्य न्यायाधीश और दूसरा खनन विभाग के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पास कार्रवाई के लिए भेजा है। कोर्ट ने कहा कि इन सभी मामलों में पहली निगाह में ही गलत काम होने का पता चलता है। इन सभी बातचीत में सरकारी अधिकारी और निजी कंपनियों के नुमाइंदे अपने फायदे के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाने की बात कर रहे हैं। सीबीआइ की जो टीम अभी तक जांच कर रही थी, वही आगे भी जांच जारी रखेगी। जांच और रिपोर्ट पेश करने के लिए उसे दो महीने का समय दिया गया है। कोर्ट 16 दिसंबर को मामले में फिर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सीबीआइ ने कहा कि इन मामलों में प्रारंभिक जांच का केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू की जाएगी और एफआइआर दर्ज करने का फैसला उसके बाद होगा।

मालूम हो कि 2008 में नीरा राडिया की गतिविधियों के बारे में शिकायत मिलने पर आयकर विभाग ने उनके फोन को सर्विलांस पर डाल दिया था। बातचीत में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और पूर्व संचार मंत्री ए राजा का जिक्र होने के कारण सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय ने इसकी जांच भी की थी। लेकिन 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से सीधा जुड़ा नहीं होने के कारण राडिया को क्लीन चिट मिल गई थी। बातचीत के लीक होने के कारण उद्योगपति रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे रोकने की मांग थी। वहीं एक एनजीओ ने टेप में दर्ज बातचीत में आपराधिक साजिश वाले अंशों पर कार्रवाई करने की मांग की थी।

इन पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआइ को पूरी बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट तैयार कर रिपोर्ट देने को कहा था। सीबीआइ ने रिपोर्ट में बातचीत के दौरान 14 मामलों में आपराधिक पहलू की पुष्टि की थी। अदालत के अनुसार यह बातचीत सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम तक ही सीमित नहीं थी। इसमें रेलवे बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति सहित अनेक पहलुओं के बारे में पता चलता है। इसकी गहन जांच की जरूरत है क्योंकि यह गंभीर मामला है।

‘शुरुआती तौर पर बातचीत में सरकारी अधिकारियों और निजी उद्यमियों की मिलीभगत से गहरी साजिश दिखती है और नीरा राडिया की बातचीत से पता चलता है कि प्रभावशाली व्यक्ति निजी लाभ उठाने के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं।’ -सुप्रीम कोर्ट

कभी सत्ता के गलियारों में बोलती थी तूती

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। पंजाबी मूल के भारतीय दंपति के यहां 1959 में नैरोबी, केन्या में जन्मीं नीरा परिवार समेत 70 के दशक में लंदन जाकर बसी थीं। वहीं उनकी पढ़ाई हुई। वारविक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने के बाद उन्होंने गुजराती मूल के उद्यमी जगन राडिया से विवाह किया। विवाह के विफल रहने और तलाक होने के बाद वह 90 के दशक में भारत आ गई। यहां उन्होंने पहली नौकरी सहारा एयरलाइंस में की। कुछ समय बाद वह सिंगापुर, केएलएम और यूके एयरलाइंस की प्रतिनिधि बन गई। इसी के साथ सत्ता के गलियारों में उनकी पैठ बढ़ गई।

नीरा ने 2000 में अपनी खुद की एयरलाइंस शुरू करने की कोशिश की, लेकिन उनकी नागरिकता का मसला आड़े आ गया। 2001 में उन्होंने पीआर फर्म वैष्णवी कम्युनिकेशन स्थापित की। जल्द ही उन्हें टाटा की सभी कंपनियों का काम मिल गया। इससे उनकी हैसियत भी बढ़ गई और नेताओं-नौकरशाहों तक पहुंच भी। 2008 में उन्हें तमाम जानी-मानी कंपनियों के साथ-साथ मुकेश अंबानी की कंपनियों का भी काम मिल गया और वह अपने क्षेत्र की एक हस्ती बन गई। कई रिटायर्ड नौकरशाह उनके लिए काम करने लगे, लेकिन जैसे ही नेताओं, नौकरशाहों, सत्ता के गलियारों में पहुंच रखने वालों, उद्यमियों और पत्रकारों से बातचीत के विवादास्पद टेप सामने आए, उनके सितारे गर्दिश में आ गए। विवादों के बीच 2011 में उन्होंने वैष्णवी कम्युनिकेशन को बंद करने का फैसला लिया। उस समय करीब 200 लोग इस फर्म में काम करते थे और इसका टर्नओवर करीब 300 करोड़ रुपये का था।

मुश्किल में रसूख वाले

नीरा राडिया की नेताओं, नौकरशाहों, उद्यमियों और पत्रकारों से टैप की गई बातचीत के अंश सार्वजनिक होने पर कई लोगों को रक्षात्मक मुद्रा में आना पड़ा था और कुछ पत्रकारों की तो साख और साथ ही नौकरी पर भी बन आई थी। इसी बातचीत के एक अंश में एक बड़े उद्योगपति यह कहते पाए गए थे कि हां, यार रंजन कांग्रेस तो अब अपनी दुकान है। अगर सीबीआइ की जांच गहराई से हुई तो कुछ रसूख वालों की साख पर नए सिरे से सवाल खड़े हो सकते हैं। इनमें नेता, नौकरशाह, पत्रकार और उद्यमी-सभी शामिल हो सकते हैं।

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