राजस्थान में जीत के लिए भाजपा अपनाएगी कई हथकंडे

तेजवानी गिरधर
तेजवानी गिरधर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर पर सवार भाजपा राजस्थान में किसी भी सूरत में सत्ता पर फिर काबिज होने के लिए कई हथकंडे अपनाएगी। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति क्या होगी, यह भले ही अभी तक गोपनीय है, मगर भाजपा की ओर से साफ तौर पर इशारे आ रहे हैं कि वह तकरीबन डेढ़ साल पहले ही कमर कसना शुरू कर चुकी है।
असल में भाजपा को यह ख्याल में है कि मोदी लहर के बावजूद इस बार राजस्थान में एंटी एस्टेब्लिशमेंट फैक्टर भी काम करेगा। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश व पंजाब इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। विशेष रूप से राजस्थान के बारे में यह धारणा सी बन गई है कि यहां की जनता हर पांच साल बाद सत्ता की पलटी कर देती है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का मौजूदा कार्यकाल उनके पिछले कार्यकाल की तुलना में अपेक्षाकृत कमजोर रहा है, इस कारण आम धारणा है कि मतदाता उनके चमकदार चेहरे के आकर्षण में नहीं आएगा। ऐसे में वह अभी से जीत की कुंडली बनाने में जुट गई है। इसी सिलसिले में वसुंधरा को हटा कर केन्द्र में ले जाने और अकेले मोदी के नाम पर चुनाव लडऩे के मानस का खुलासा पिछले दिनों मीडिया में हो रहा था। हालांकि वसुंधरा की ओर यही दावा किया जा रहा है कि अगला चुनाव उनके ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा, मगर पार्टी कार्यकर्ता अभी असमंजस में हैं।
बहरहाल, जीत के प्रति भाजपा हाईकमान इतनी शिद्दत लिए हुए हैं कि पिछले दिनों मीडिया में यह खबर तक आ गई कि राजस्थान में भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट को अपने खेमे में शामिल करना चाहती है। बताया गया कि उन्हें बाकायदा ऑफर भी दी जा चुकी है कि उन्हें केन्द्रीय मंत्री बना दिया जाएगा। यद्यपि सचिन की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। भाजपा के इस हथकंडे से अनुमान लगाया जा सकता है कि एक तो वह अपनी सेना के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है, तभी तो विरोधी के सेना नायक पर ही हाथ मारने की सोच रही है, दूसरा ये कि इसके लिए वह तोड़-फोड़ की पराकाष्टा भी पार करने को आतुर है। भाजपा जानती है कि पिछले विधानसभा चुनाव में रसातल में पहुंच चुकी कांग्रेस को सजीव करने के लिए सचिन ने एडी से चोटी का जोर लगा रखा है। भाजपा सोचती है कि अगर उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ऐन वक्त पर टक्कर में आ खड़े होने का डर दिखाया जाए तो कदाचित वे डिग भी जाएं। इससे यह तो स्पष्ट है कि भाजपा को अब सत्ता प्राप्ति के लिए दिग्गज कांग्रेसियों को अपनाने से भी कोई परहेज नहीं है। ज्ञातव्य है कि चुनाव से कुछ समय पूर्व ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा भाजपा में शामिल हो गई थीं। उसके सकारात्मक परिणाम भी आए। भाजपा ऐसा ही प्रयोग राजस्थान में करना चाहती है। सचिन पर दाव भले ही दूर की कौड़ी लगता तो, मगर इससे इतना तो तय मान कर चलना चाहिए कि भाजपा निचले स्तर पर असंतुष्ट कांग्रेसी नेताओं को बड़े पैमाने पर तोडऩे का प्रयास करेगी।
भाजपा एक नया प्रयोग और करने जा रही है। वो यह कि हाशिये पर जा चुके पुराने नेताओं को भी जोत रही है। उसे डर है कि कहीं उपेक्षा का शिकार ऐसे नेताओं की निष्क्रियता नकारात्मक असर न डाले। जैसे ही यह फंडा सामने आया विस्तारक बनाए गए पुराने नेताओं में जोश आ गया कि पार्टी अब उनकी कद्र कर रही है। उन्हें यह भ्रम भी हुआ कि यदि उन्होंने ठीक से काम किया तो टिकट की लॉटरी लग सकती है। और कुछ नहीं तो टिकट वितरण में तो उनकी भूमिका रहेगी ही। भ्रम होना ही था, उन्हें संघ के प्रचारक तरह विस्तारक की संज्ञा जो दे दी गई। भाजपा को अनुमान नहीं था कि ऐसा करके उसने अनजाने ही उनमें फिर से लालसा पैदा कर दी है। नतीजतन हाल ही जब जयपुर में विस्तारकों का दो दिवसीय अधिवेशन हुआ तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कहना पड़ गया कि विस्तारक स्वयं को विधानसभा चुनाव का टिकट बांटने वाला नेता न समझें। विस्तारक का काम केवल अपने आवंटित विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर जाकर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। इसके अतिरिक्त विस्तारक टिकट अथवा किसी पद की लालसा न रखें। जाहिर तौर पर इससे विस्तारक हतोत्साहित हुए होंगे, मगर समझा जाता है कि पार्टी जरूर विचार करेगी कि उन्हें कैसी लॉलीपॉप थमाई जाए।
भाजपा की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव ये भी आया है कि जहां पहले यह कहा जा रहा था कि सत्तर साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा, उसे बढ़ा कर अब पचहत्तर साल कर दिया गया है। कदाचित सर्वे में यह तथ्य आया हो कि अगर सत्तर साल के नेताओं को संन्यास दे दिया गया तो बड़े पैमाने पर जीतने वाले प्रत्याशियों का अभाव हो जाएगा।
कुल मिला कर भाजपा ने अगले विधानसभा चुनाव की रणभेरी से बहुत पहले ही अपनी सेना को सुसज्जित करना शुरू कर दिया है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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