गांवों की सरकार में आमजन की भागीदारी बढाने पर चर्चा

राज्यस्तरीय परामर्श कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखे विचार
कार्यशाला में आए सुझाव सार्क देशों के सम्मेलन में पेश किए जाने वाले मसौदे में होंगे शामिल
010304जयपुर। गांवों की सरकार में आमजन की भागीदारी बढाने पर शनिवार को यहां व्यापक विचार विमर्श किया गया। अंतरराष्ट्रीय संस्था प्रेक्टिकल एक्शन की ओर से समृद्धि ट्रस्ट जयपुर के सहयोग से भागीदारी शासन एवं नीतिगत सिफारिशों पर आयोजित राज्यस्तरीय परामर्श कार्यशाला में उभरकर आए सुझावों को सार्क देशों के सम्मेलन में पेश किए जाने वाले मसौदे में शामिल किया जाएगा। यह कार्यशाला यहां झालाना स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान परिसर में आयोजित की गई।
कार्यशाला में यह बात मुख्य रूप से सामने आई कि ग्रामसभाओं में स्थानीय राजनीति के चलते ग्रामीणों की भागीदारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं होती है। कार्यशाला में प्रतिभागियों ने कहा कि गांवों के विकास पर सरकार करोड़ों रूपए का बजट आवंटित कर भेजती है, लेकिन उसका लाभ हाशिये पर खड़े ग्रामीण को नहीं मिल पाता। प्रतिभागियों ने पंचायती राज में सर्विस डिलीवरी, जवाबदेही, पारदर्शिता, फैसलों में भागीदारी बढाने पर जोर दिया।
श्रीलंका स्थित संस्था प्रेक्टिकल एक्शन के कम्युनिटी गवर्नेंस के रीजनल प्रोजेक्ट मैनेजर जनाका हेमाथिलाका ने बताया कि यूरोपियन यूनियन के सहयोग से चलाए जा रहे इस प्रोजेक्ट में विभिन्न देशों से स्थानीय स्तर पर प्रशासन के कामकाजी तरीकों एवं सामुदायिक भागीदारी पर तथ्य जुटाए जा रहे हैं। वर्तमान में यह संस्था 40 देशों में विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही है। राजस्थान में भी निचले स्तर पर पंचायती राज संस्थाओं के कार्य को इस मसौदे में शामिल किया जाएगा।
यूनिसेफ के पूर्व निदेशक एवं प्रथम संस्थान के मैनेजिंग ट्रस्टी शिक्षाविद केबी कोठारी ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि पंचायती राज का लाभ गांव के अंतिम कतार के व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग एवं मैनेजमेंट को मजबूत करना होगा। पंचायतीराज को पांच सरकारी विभागों के हस्तांतरण को आधा अधूरा बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका सामाजिक विकास में खास योगदान नहीं रहा।
राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग के सलाहकार डॉ पीआर शर्मा ने कहा कि गवर्नेंस में जनभागीदारी बेहद कमजोर है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को सरकार की ओर से भरपूर संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं, लेकिन उनका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। शर्मा ने बताया कि हरेक पंचायत को 50 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन भेजी जाती है। इसके अलावा भी पंचायतों को कई तरह के अनटाइड फण्ड दिए जाते हैं, लेकिन उनका आउटकम नहीं आ पा रहा है।
प्रेक्टिकल एक्शन संस्था की भारत स्थित मैनेजर रश्मि पटेल एवं समृद्धि ट्रस्ट जयपुर के प्रोजेक्ट मैनेजर राजेश चतुर्वेदी ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी।
इंदिरा गांधी पंचायतीराज संस्थान के प्रोफेसर योगेन्द्र पूनिया ने गरीबी दूर करने के तीन मूलमंत्रों की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा, संगठन एवं अनुशासन जरूरी है। झोटवाडा विधानसभा क्षेत्र की हाथोज ग्राम पंचायत के सरपंच रामबाबू शर्मा ने आबादी के हिसाब से पंचायतों को आर्थिक संसाधन मुहैया कराने की आवश्यकता बताई। कार्यशाला में बांसवाडा, डूंगरपुर, उदयपुर, झालावाड, अलवर, चूरू, जयपुर सहित विभिन्न जिलों से आए स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने विचार रखे।
-कल्याणसिंह कोठारी, 9414047744

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