जयपुर। देष के ख्यातनाम वैज्ञानिक पदमभूसण डॉ आरएस परोदा ने कहा कि मौजूदा षिक्षा ढांचे में व्याप्त कमियों के कारण हम रोजगारपरक बडे सपने नहीं देख पा रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि हमारा समाज ज्ञान आधारित हो और उसमें वैज्ञानिक नवाचारों का समावेष हो, इस पर गंभीरता से सोचकर समाज हित में ऐसी षिक्षा एवं नीति बनानी होगी जो व्यावसायिक व प्रेक्टिकल हो। डॉ परोदा गुरूवार को निवाई स्थित डॉ केएन मोदी विष्वविघालय में आयोजित द्वितीय राजस्थान विज्ञान कांग्रेस के तीन दिवसीय सम्मेलन का उदघाटन कर रहे थे। यह आयोजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सामाजिक सरोकर के तहत किया जा रहा है।
डॉ परोदा ने अनुसंधान के क्षेत्र चाइना की भागीदारी को रेखांकित करते हुए कहा कि चाइना के उत्पादों की पूरी दुनिया के बाजार में स्वीकार्यता है। इसका कारण यह है कि चाइना में उत्पादकों को नवाचार, संस्थागत एवं नीतिगत समर्थन मिला। इसलिए उन्होंने सुझाव दिया कि ब्राजील, रषिया, इंडिया व चाइना अगर मिलकर काम करें तो आष्चर्यजनक सफलता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि चाइना में प्रषिक्षण में चार बिलियन यूएस डॉलर खर्च किए जा रहे हैं, जिनमें से एक बिलियन की राषि विदेषों में रहकर प्रषिक्षण की व्यवस्था पर खर्च होती है। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर हमारी क्षमतावर्धन का मॉडयूल पर काम करना चाहिए।
इस मौके पर डॉ परोदा ने राजस्थान साइंसा कांग्रेस में डॉ केएन मोदी विवि के युवा इंजीनियरों की ओर से प्रदर्षित रोबोट, सौर कार, सेना के टैंक के कार्य का मॉडल, सौर पवन चक्की, पवन टर्बाइन आदि विज्ञान मॉडल्स की सराहना करते हुए कहा िकइस तरह के प्रयासों को समृध करने एवं गति देने की जरूरत है।
गॉम्बिया के राजदूत डाम्बो एम बडजी ने कहा कि गॉम्बिया जैसे देष नए विचारों का वैज्ञानिक नवाचार और अनुसंधान के लिए डॉ केएन मोदी विवि के साथ अलायंस फॉर ग्लोबल एजुकेषन के तहत सहयोग करेगा। उन्होंने भारत एवं अफ्रीका में कई तरह की समानताएं बताते हुए महात्मा गांधी को इसका जनक बताया। उन्होंने इस बात पर खुषी जताई कि वर्तमान में भारत में पचास हजार से अधिक अफ्रीकी छात्र भारत सरकार की ओर से प्रदान की जा रही विभिन्न छात्रवृतियों के अंतर्गत अध्ययनरत हैं।
राजस्थान विज्ञान कांग्रेस के संस्थापक प्रो पीसी व्यास ने विज्ञान कांग्रेस के दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए विज्ञान को सभी के लिए आसान बनाने की जरूरत पर बल दिया। प्रो व्यास ने कहा कि भारत को सेवा प्रदान करने वाली षिक्षा से मुक्त होकर रोजगारपरक षिक्षा की ओर मोडना होगा। इसमें सामाजिक बदलाव के लिए ज्ञान बांटना होगा और नवाचारों को अपनाना होगा। साथ ही आमजन की भागीदारी को जन आंदोलन का रूप देना होगा, तभी इसके सार्थक परिणाम आएंगे।
राजस्थान विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ डीके मोदी ने अपने स्वागत भाषण में विष्वविधालयों को विज्ञान एवं रचनात्मक अनुसंधान और वैज्ञानिक प्रषिक्षण से जुडने के लिए विष्वविधायलों को एकजुट होने का आहवान किया। उन्होंने अनुसंधान और विकास में अधिक निवेष की आवष्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम समन्वयक इषिका सिन्हा ने बताया कि ग्लोबल अलायंस में अब तक बत्तीस देषों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी करने पर सहमति जताई है। इस मौके पर अतिथियों ने डॉ केएन मोदी विवि की ओर से प्रकाषित पत्रिका क्वेस्ट का विमोचन किया।
उदघाटन कार्यक्रम में ब्राजील की प्रो मारिया, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौधोगिकी एनसीएसटीसी विभाग के निदेषक डॉ मनोज पटारिया, महाराणा प्रताप एग्रीकल्चर विवि के कुलपति डॉ ओपी गिल, मणिपाल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ संदीप संचेती, इंडोनेषिया दूतावास के षिक्षा अधिकारी सोन कुषवाडी, डॉ उपेन्द्र धर व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तरूण जैन सहित विभिन्न दूतावासों से आए प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों सहित रिसर्च स्कॉलर एवं वैज्ञानिक तथा विवि के स्टूडेंटस मौजूद थे।
इस अवसर पर युवा वैज्ञानिकों की श्रेणी के तहत राजस्थान भर से आए स्कूली छात्रों की ओर से बनाए गए पोस्टरों एवं मॉडल्स का प्रदर्षन किया गया। सम्मेलन के दौरान दूरबीन की मदद से रात में सौरमंडल व दिन में तारामंडल देखने की व्यवस्था की गई है। पहले दिन दोपहर बाद के सत्र में आयोजित राज्यस्तरीय विज्ञान संचारक सम्मेलन के दौरान केंद्रीय विधालय नंबर पांच जयपुर की प्राचार्या श्रीमती सीपी चौधरी, राजस्थान के विष्वविधायलों में विज्ञान संचार पाठयक्रमों की स्थिति पर राजस्थान विवि के प्रोफेसर डॉ संजीव भानावत, डॉ नरेन्द्र भोजक, प्रमोद जैन एवं उरमानी कौषल ने विस्तृत चर्चा की।
Kalyan Singh Kothari
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