राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अगले माह अगस्त में मंत्रिमण्डल विस्तार कर सकती है। मंत्रिमण्डल विस्तार एवं राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर वसुंधरा राजे ने एक दिन पहले ही दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संघ के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की है। दिल्ली से लौटने के बाद वसुंधरा राजे ने आज राज्य भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी एवं संघ के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बातचीत की। जानकारी के मुताबिक मंत्रिमण्डल में 10 से 12 मंत्री बनाए जा सकते है। वहीं तीन से चार संसदीय सचिव एवं विधानसभा में रिक्त सरकारी उप मुख्य सचेतक भी बनाए जाने को लेकर कसरत की जा रही है। इन दोनों पदों पर तो वर्तमान बजट सत्र के दौरान ही नियुक्ति की जा सकती है।
सात माह पूर्व मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वसुंधरा राजे ने मात्र 12 मंत्री बनाए थे, लेकिन कुछ दिन बाद ही इनमें से एक केबिनेट मंत्री कैलाश मेघवाल को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में केबिनेट मंत्री सांवर लाल जाट को अजमेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़वाया गया और वे सांसद बन गए। सांसद बनने के बाद जाट ने विधानसभा की सदस्यता से तो इस्तीफा दे दिया, लेकिन मुख्यमंत्री के कहने पर मंत्री पद नहीं छोड़ा। हालांकि कांग्रेस इस मद्दे को लेकर लगातार विधानसभा में हंगामा करती रही है।
कांग्रेस का तर्क है कि संविधान की धारा 164 के तहत बिना विधायक कोई भी व्यक्ति मंत्री रह सकता है, लेकिन छह माह तक के लिए है। जाट मंत्री बनने के समय विधायक नहीं थे, लेकिन 21 जनवरी को उन्होंने शपथ ले ली। यानी छह माह के अंदर विधायक बन गए। वे लगातार मंत्री रह सकते थे, लेकिन उन्होंने 29 मई को ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में अब भी वे गैर विधायक मंत्री है जबकि उनके गैर विधायक मंत्री बनने के बाद छह माह 20 जून को ही पूरे हो गए। ऐसे में उनके मंत्री पद की संवैधानिक स्थितियां 20 जून को ही समाप्त हो गई। इसका अर्थ यह है कि इस समय राज्य मंत्रिमंडल में केवल 11 मंत्री हैं जबकि संविधान की 164- के तहत 12 मंत्रियों से कम मंत्री नहीं हो सकते। कांग्रेस की आपत्तिऔर कम मंत्रियों से सरकारी कामकाज में आ रही अड़चनों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने मंत्रिमण्डल विस्तार का मन बनाया है।