दशलक्षण मानसिक शुद्धि का पर्व-वर्धमान सागर

भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कयाणक व अनन्त चर्तुदशी आज, क्षमावाणी पर्व कल
34मदनगंज-किशनगढ़। आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने जैन भवन में रविवार को उत्तम आकिंचन्य धर्म पर प्रवचन देते हुए कहा कि संसार में पर्यावरण को ठीक करने का चिन्तन चल रहा है। सभी का ध्यान है परन्तु दशलक्षण पर्व तो मानसिक शुद्धि का पर्व है। आज सभी ने आकिंचन्य धर्म का पूजन किया है। मानसिकता ठीक नही होगी तो उसका प्रभाव वातावरण पर पडता है। आत्म मंथन का समय है। हमें विचार करना है कि हमने क्या खोया और क्या पाया। मंदिर में अपने भीतर के लोभ, मान, माया, घर, परिवार, रिश्ते, पुरजन और कषायों को छोडना चाहिए। बिना खाली हुए भगवान नही मिलेगें और भगवान बन भी नही सकते। जीवन में हमने जो अपना नही था उसे अपना मान रहे है। इसलिए अपने अन्दर भगवान नही दिख रहे है बुद्धिमान वही है जो अपना नहीं है। क्रोध, मान, लोभ, संयम आदि कोई आपका नहीं है, फिर भी हमे इन्हे अपना मानते हुए मेले हो रहे है। आत्मा का महत्व है और आकिंचन्य है। जो जीवन में आकिंचन्य का अनुभव करता है वह तीन लोक का नाथ होता है। आत्मा को जानने के लिए आकिंचन्य धर्म पर चाने का विचार करना होगा। शरीर दुख की जड है। मै और मेरा कु छ भी नही है, एकमात्र मेरी आत्मा है वही आकिंचन्य धर्म है। आत्मा को संभालना है और पुद्गा को छोडना होगा। धर्म के अनुसार जो संसार में हमे मिला है वह छुडने के लिए मिला है। संसार के सुख में भी सुख नही है। आत्मा पंच तंत्र के कारण कमजोर होती जा रही है। उसे आकिंचन्य धर्म को अपना कर जीवन को सार्थक करना होगा। धर्मसभा में मुनि अपुर्व सागर महाराज ने उत्तम आकिंचन्य धर्म पर धर्मोपदेश देते हुए कहा जीवन में बाहर की गांठ के साथ मन के अन्दर की गांठ भी खोलनी होगी तभी मुक्ति मिलेगी। वैचारिक प्रदुषण दूर नही होगा तब तक धर्म सार्थक नही हो सकता। परिग्रह दुख का कारण होते है। इससे पूर्व प्रात: श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक दश लक्षण विधान पूजन, आचार्यश्री का पूजन किया गया। दोपहर में सरस्वती पूजन एवं तत्वात सूत्र वाचन चल रहा है। सायं आरती, गुरू भक्ति के पश्चात पहचान कौन सातवी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक व अनन्त चर्तुदशी आज, क्षमावाणी पर्व कल
आचार्यश्री ससंघ के सान्निध्य में सोमवार को जैन भवन में प्रात: 9 बजे से भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक पर्व मनाया जाएगा। जिसमें भगवान की सामूहिक पूजन करते हुए मोक्ष निर्वाण मोदक चढाया जाएगा। तत्पश्चात आचार्यश्री का मंगल प्रवचन होगें। दोहपर में अनंत चतुदर्शी पर्व पर सकल दिगम्बर जैन समाज के विभिन्न मन्दिरों में श्रीजी का विशेष कलशाभिषेक, शांतिधारा की जाएगी एवं मंगलवार को क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा।
-राजकुमार शर्मा

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