बाड़मेर / मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर में भरस्टाचार की जड़े गहरी होती जा रही हे। आठ माह पूर्व निःशुल्क दवा योजना में विभाग के स्टोरकीपर द्वारा दवा खरीद में की गयी अनियमितताओं के मामले की जांच के आदेश तत्कालीन प्रबंध निदेशक ,आर एम एस सी एवं पदेन संयुक्त शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग विभाग डॉ समित शर्मा ने स्थानीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए थे मगर अधिकारी ने राजनितिक दबाव के चलते जांच को ठन्डे बस्ते में डाल दिया।
निशुल्क दवा योजना के जिला परियोजना समन्वयक डॉ बी एस गहलोत ने प्रबंध निदेशक जयपुर को अधिकृत पत्र क्रमांक ddw /2013 /307 दिनांक 19 /11 /2013 को लिख सनसनी खेज खुलासा करते हुए बताया की की जिला अौषध भंडार में कुछ दवाईयां की भंडार में पूर्ण और अधिकता में उपलब्धता के बावजूद स्थानीय कार्यालय द्वारा स्थानीय स्तर पर क्रय कर चिकित्सा संस्थानों को उनकी जानकारी के बिना भिजवा दी जिसके कारन चिकित्सा संस्थान दवाईयो की मांग नहीं कर रहे जिसके चलते भंडार में में उपलब्ध दवाईया अवधि पार हो रही हे। ऐसी दवाईया बड़ी मात्रा में उपलब्ध हे ,उन्होंने स्पष्ट लिखा की इस अनियमित खरीद में मुख्य चिकित्सा विभाग के स्टोरकीपर द्वारा सारे नियम ताक में रख खरीद की गयी हे।
परियोजना समन्वयक ने लिखा था की उनके द्वारा चिकित्सा संस्थानों में किये निरिक्षण से इस अनियमित खरीद का खुलासा हुआउङ्के द्वारा सिनधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरिक्षण करने पर उन्हें वहा dompreridone 10mg diclofine gel nifedipine और cotrimoxazole मिली जो औषध भंडार से नहीं भेजी गयी। यह दवाईया भंडार में उपलब्ध होने के बावजूद बाज़ार से क्रय की गयी थी। उन्होंने निदेशक से पुरे मामले की जांच के लिए लिखा था। जिस पर तत्कालीन प्रबंध निदेशक समित शर्मा में अपने पत्र क्रमांक 6303/21/11/2013 के तहत विभागीय अधिकारियो को लिखा की यह मामला बहुत गंभीर हे। इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाड़मेर से लेकर तत्काल कार्यवाही करे।
प्रबंध निदेशक के आदेश के बावजूद स्टोरकीपर के खिलाफ ना कोई जांच हुई न ही कार्यवाही। इससे विभाग में फेली भरष्टाचार पर उंगली उठाना स्वाभाविक हें।
प्रश्न यह उठता हे की औषध भंडार में दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्टोरकीपर ने जिला परिजोयाजना समन्वयक को अँधेरे में रख लाखो रुपयों की दवाईयों की खरीद खुले बाज़ार से क्यों की ।इनके उपलब्ध दवाइयां खरीदने से भंडार में उपलब्ध दवाईयों की मांग ना आने से लाखो रुपयों की दवाईया अवधिपार हो गयी। जिसके जिम्मेदार कौन हे। स्वास्थ्य विभाग की अंधेरगर्दी का यह आलम हे की विभाग में क्या कुछ हो रहा हे उसकी जानकारी तक चिकित्सा अधिकारी को नहीं हे।
स्वास्थ्य विभाग में घोटाले दर घोटाले हो रहे हें ।खुद विभाग जे अधिकारी हैरान हे की उनके द्वारा राज्य सरकार को लिखे जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं होती।
chandan singh bhati
निशुल्क दवा योजना में स्टोरकीपर द्वारा की खरीद की जांच ठन्डे बस्ते में क्यों ?
nehru nagar barmer rajasthan
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