बाढ़ के हालात पर केंद्र को रिपोर्ट देंगी राज्यपाल

जयपुर । असंतुष्ट गतिविधियों से जुझ रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर संकट से घिर गए हैं। राज्यपाल मारग्रेट आल्वा ने अपनी राज्य में बाढ़ के हालात पर केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेजने का ऐतिहासिक फैसला कर मुख्यमंत्री और राजस्थान सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया है।

राजभवन की ओर से जिला कलेक्टरों से सीधी रिपोर्ट मांगी गई है। सिफारिशों पर लगे ज्यादातर अक्षम जिला कलेक्टर पुलिस प्रशासन की मदद से रिपोर्ट तैयार करने में लगे हैं। आपदा पीडि़त क्षेत्रों में सर्वप्रथम दौरा करने के बाद केन्द्र को रिपोर्ट भेजने के अहम फैसले से राज्य प्रशासन में सनसनी फैल गई है।

राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्यपाल ने राज्य सरकार के बजाय सीधे जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी हो,यही नहीं राज्यपाल तो जयपुर में बाढ़ पीडि़तों का हाल जानने के लिए पहुंच गई, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज तक बाढ़ प्रभावितों के बीच नही पहुंचे।

राजधानी जयपुर में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री का बाढ़ पीडि़तों के बीच नहीं जाना और राज्यपाल का संवैधानिक पद पर होने के बावजूद जाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की 30 अगस्त की यात्रा का जायजा लेने आज बाड़मेर पहुंचे। जयपुर के निचले इलाकों में पानी भरने से हालात बिगड़े हुए थे और जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंच रहे थे, राज्यपाल ने पहल की और प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए निकली पड़ी। अपने दौरे में सरकार को उसके कामकाज को आईना दिखाती राज्यपाल को देख सरकार के मंत्री भी प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर निकलने लगे।

माना जा रहा है कि राज्यपाल अतिवृष्टि में सरकार द्वारा किए जा रहे इंतजाम से संतुष्ट नहीं हैं। उनका सोचना है कि अपनी संवैधानिक मर्यादाओं को नहीं लांघेंगी लेकिन किसी भी क्षेत्र में आपदा से प्रभावित लोगों से मिलकर सरकार का ध्यान भी आकर्षित करेंगी।

पता चला है कि राज्यपाल जब मौके पर गई तो वहां पीडि़त जनता से यह सुनकर उन्हें अत्यंत कष्ट हुआ कि तब तक प्रशासन की ओर से उनकी कोई सुध नहीं ली गई और कोई भी जनप्रतिनिधि उन तक नहीं पहुंचा है और जनता अपने को अनाथ समझ रही है।

राज्यपाल द्वारा सरकार के बजाय सीधे कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगे जाने को भाजपा ने ऐतिहासिक कदम बताते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि यह लग रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व का अशोक गहलोत पर से विश्वास उठ गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का बाढ़ प्रभावितों की सुध नहीं लेना पद के साथ अन्याय है। वहीं मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रतिपक्ष की नेता खुद बाढ़ प्रभावितों की सुध लेने के बजाय लंदन में बैठकर बयान भेज रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बारिश प्रभावितों के पुनर्वास का पूरा प्रयास कर रही है।

 

बारिश का कहर कम होने लगा,अब तक 34 की मौत

राजस्थान में बारिश का कहर तो आज कम होने लगा,लेकिन सीकर,झुंझूनूं और जयपुर जिलों के कई इलाकों में आज चौथे दिन भी पानी नहीं निकाला जा सका। इन तीनों ही जिलों में दो दिन से सेना ने कमान संभाल रखी है। जयपुर में आज तो बारिश नहीं हुई,लेकिन सीकर और झुंझुनूं में हल्की बारिश हुई। बाढ़ प्रभावित राज्य के जयपुर, धौलपुर, दौसा, चुरू, सीकर, झुंझुनूं, नागौर, सवाईमाधोपुर, करौली और बीकानेर में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है।

करीब दो हजार किलोमीटर से अधिक सड़कें बुरी तरह उधड़ गई हैं। अकेले जयपुर जिले में करीब 100 किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। भारी वर्षा और निचले इलाकों में पानी भरने से अकेले जयपुर में करीब 80 हजार कच्ची बस्ती निवासियों के मकान क्षतिग्रस्त।

राज्य में नवलगढ़, लक्ष्मणगढ़, महुआ, डीडवाना, सीकर, सुजानगढ़, गोविन्दगढ़, चाकसू सहित अन्य कस्बों में मकानों को भारी नुकसान। राज्य में करीब दो लाख लोगों के बेघर होने का अनुमान। सरकार बाढ़ में मारे गए लोगों के आश्रितों को दो-दो लाख रूपए की मदद देने की घोषणा की है। बाढ़ प्रभावित छह जिलों में राहत कायरें के लिए 2.64 करोड़ रुपए स्वीकृत किए है।

मौसम में बदलाव के साथ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में स्वाइन फ्लू, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के लिए अलर्ट जारी किया है। इस बारे में सभी सीएमएचओ को निर्देश भेज गए हैं।

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