ग्रेच्यूटी की गणना प्रथम नियुक्ति से की जानी चाहिए

(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का मामला)
jaipur newsजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने प्रबन्ध समिति, सैनी प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक प्रार्थी धन्ना लाल सैनी के मामले में व्यवस्था दी है कि ग्रेच्यूटी की राशि की गणना नियुक्ति तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति की तिथि तक की जानी चाहिए तथा संस्था को आदेश दिया कि वह प्रार्थी को राशि ५,२१,८१४/- रूपये ग्रेच्यूटी के पेटे तथा राशि २४,१३५/- रूपये उपार्जित अवकाश के बदले देवे तथा राशि ५०००/- रूपये हर्जाने के रूप में भी प्रार्थी को देवे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी धन्ना लाल सेनी की नियुक्ति अप्रार्थी संस्था में दिनांक ०७-०७-१९६० को अध्यापक ग्रेड तृतीय के पद पर हुई एवं प्रार्थी की सेवानिवृत्ति दिनांक ३१-०३-१९९९ को हुई परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थी को उपार्जित अवकाश का नकदीकरण एवं उपदान की राशि का भुगतान समय पर नहीं करने पर प्रार्थी द्वारा अधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसे दिनांक २२-११-२००० के निर्णय से निस्तारित कर दिया, तत्पश्चात अप्रार्थीगण ने आदेश दिनांक ०५-१०-२००५ पारित करते हुये उपदान की सही तौर पर गणना नहीं करने एवं कोई उपार्जित अवकाश बकाया नहीं होने का मत व्यक्त किया जिसके विरूद्ध माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका पेश करने के पश्चात यह माना गया कि दोनों बिन्दु निष्पादक न्यायालय द्वारा तय नहीं किये जा सकते इसके लिये प्रार्थी को अधिकरण के समक्ष ही उपस्थित होना पडेगा। तत्पश्चात प्रार्थी ने अधिवक्ता डी पी शर्मा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष पुन: आवेदन प्रस्तुत किया। प्रार्थी के अधिवक्ता का तर्क था कि ग्रेच्यूटी की गणना प्रथम नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्ति तक की जानी चाहिए तथा संस्था की तरफ से तर्क दिया गया कि ग्रेच्यूटी की गणना अधिनियम के प्रभाव में आने की दिनांक से अर्थात ०१-०१-९३ से की जानी चाहिए जिसे अधिकरण ने अनुचित करार देते हुये प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्क को सही माना तथा उपार्जित अवकाश के बदले वेतन के संबंध में प्रार्थी के अधिवक्त का तर्क था कि उसे उपार्जित अवकाश के बदले वेतन प्राप्त करने का हक है परन्तु संस्था के द्वारा तर्क दिया गया कि प्रार्थी का कोई उपार्जित अवकाश के बदले वेतन बकाया नहीं है जबकि संस्था के द्वारा न्यायालय के समक्ष कोई सर्विस रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया। अधिकरण ने मामले की सुनवाई के पश्चात उक्त आदेश पारित किये।
डी पी शर्मा
एडवोकेट
मो. नं. 9414284018

error: Content is protected !!