शाहपुरा में कलाकारों व साहित्यकारों की उपेक्षा क्यों..

shahapuraशाहपुरा। संचिना कला संस्थान ने नगर पालिका द्वारा प्रतिवर्ष शाहपुरा में अध्ययनरत विद्यार्थियों व खिलाडियों को राज्य व राष्ट्र स्तर पर अव्वल आने पर पारितोषिक देने के लिए दस लाख रू का फंड घोषित करने का स्वागत करते हुए कहा कि तो फिर शाहपुरा के कलाकारों व साहित्यकारों की पालिका क्यों उपेक्षा कर रही है।
संचिना अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक ने शुक्रवार को इस संबंध में संचिना की ओर से प्रतिवेदन तैयार कर अधिशाषी अधिकारी सीमा चौधरी के साथ ही पारितोषिक देने वाली कमेटी के सदस्यों को सौंपा है।
पारीक के अनुसार शाहपुरा के विद्यार्थियों व खिलाडियों को सम्मानित करने से निश्चित रूप से प्रतिभाएं उभर कर सामने आयेगी। पारीक के अनुसार शाहपुरा में रियासत काल से ही कला व साहित्य के क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नही रही है। शाहपुरा के कवि डा. बृजमोहन ने देश के प्रधानमंत्री के आव्हान पर देश भर में घूम कर कवि सम्मेलनों के मार्फत राशि एक लाख रू एकत्र कर प्रधानमंत्री कोष में जमा करायी थी तब उनको प्रधानमंत्री ने ‘सूपत’ की उपाधि से विभूषित किया था। इसके अतिरिक्त कला, संगीत, नाटक सहित अन्य विधाओं में शाहपुरा की प्रतिभाओं ने देश भर में शाहपुरा को गौरान्वित किया है। इन्ही विधाओं में शाहपुरा के विद्यार्थी भी इन दिनों प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर रहे है। फिर कला व साहित्य के क्षेत्र को पारितोषिक व सम्मान से क्यों वंचित किया जा रहा है।
पारीक ने बताया कि इसके अलावा शाहपुरा में कलाकारों की ओर से लंबे समय से रंगमंच का निर्माण कराने की मांग की जा रही है परंतु नगर पालिका ने आज तक इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया जबकि १९८० में देश के प्रसिद्व रंगकर्मी देबीलाल सामर द्वारा राउमावि में रंगमंच की आधारशिला रखी गयी थी। पारीक ने शाहपुरा में रंगमंच अथवा टाउन हाल का निर्माण कराने की भी मांग रखी है।
Moolchand Peswani

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