कल तक जो चल नहीं पाए, आज दौडऩे लगे…

दिशा की ओर से बीएचईएल के सहयोग से सांगानेर तहसील के भांकरोटा, जयसिंहपुरा और महापुरा में आयोजित हुए समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम में लाभांवित हुए 168 लोग, विशेष योग्यजनों के समुचित विकास पर आधारित अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट
ManishaGurucharanजयपुर। विशेष बच्चों के लिए कार्यरत दिशा की ओर से सरकारी उपक्रम बीएचईएल (भेल) के सहयोग से सांगानेर तहसील के भांकरोटा, जयसिंहपुरा और महापुरा ग्राम पंचायत में आयोजित किए जा रहे समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम में करीब 168 लोग लाभांवित हुए। गौरतलब है कि विशेष योग्यजनों के समुचित विकास पर आधारित अपनी तरह के इस पहले प्रोजेक्ट का शुभारंभ आठ दिसंबर, 2014 को भेल के सीनियर एग्जीक्यूटिव रिपनदीप सिंह ने किया था। कार्यक्रम का उद्देश्य उन विशेष योग्यजनों तक पहुंचना है, जो अपनी मजबूरियों के चलते उनके लिए काम करने वाली दिशा जैसी संस्थाओं तक नहीं पहुंच पाते।
दिशा की निदेशक कविता अपूर्वा वर्मा ने बताया कि पिछले चार महीने से लगातार जारी इस कार्यक्रम में अब तक करीब 168 लोग लाभांवित हो चुके हैं। एम.एस. शेख के निर्देशन में आयोजित हुए इस कार्यक्रम के तहत दिशा के विशेषज्ञों, सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट और साइकोलॉजिस्टों की ओर से सभी उम्र-वर्ग के विशेष योग्यजनों की स्पेशल एजुकेशन, स्पीच थैरेपी, फिजियो थैरेपी और ऑक्यूपेशनल थैरेपी सहित विभिन्न प्रक्रियाओं के जरिए उनकी समस्याओं का निदान किया गया। कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभ उन बच्चों-लोगों को मिला जो कल तक चल नहीं पा रहे थे, वे आज कार्यक्रम में उपचार के बाद दौडऩे के काबिल हो गए।
इस दौरान विशेष योग्यजनों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी भी दी गई। वर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान दिशा की ओर से विकलांगता को लेकर एक सर्वे रिपोर्ट भी जारी की गई। इसके मुताबिक, इन तीनों ग्राम पंचायतों में विकलांगता का स्तर 15 प्रतिशत आंका गया है, जो कि साल 2011 में जारी वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन की वर्ल्ड हैल्थ रिपोर्ट ऑन डिसेबिलिटी में दर्शाई गई विकलांगता के 15 प्रतिशत के बराबर है।
कार्यक्रम की कुछ सक्सेस स्टोरीज
– आग देखते ही डरने वाली भांकरोटा की अर्चना अब अपनी मम्मी के साथ किचन में हाथ बंटाती है।
– भांकरोटा का दिलशाद जो पहले अपना हाथ-पैर हिला भी नहीं पाता था, अब थैरेपीज से उपचार के बाद आसानी से अपनी बॉडी को मूव कर लेता है।
– सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त भांकरोटा का ही गुरुचरण अब न केवल अपनी बॉडी को मूव करा लेता है, बल्कि फ्रूट्स, फर्नीचर और अन्य 2डी इमेजेज को भी बेहद आसानी से पहचान लेता है।
– जयसिंहपुरा का कैलाश हैम्पेल्जिया से पीडि़त होने के कारण हिल-डुल नहीं पाता था, लेकिन अब सहारे के साथ चलने लगा है।
– जयसिंहपुरा की नीरू जो कि डाउन सिंड्रोम से पीडि़त है, वह चलना भी नहीं जानती थी, लेकिन अब वह बिना किसी सपोर्ट के आसानी से चल लेती है।
– मानसिक रोग से पीडि़त जयसिंहपुरा का ओमप्रकाश अब गिनती सीख गया है। यहां तक कि अपनी शर्ट के बटन भी खुद लगा लेता है।
– इंटेलेक्चुअल इंपेयरमेंट से पीडि़त महापुरा की मनीषा पुनर्वास कार्यक्रम के बाद अब एक से लेकर 10 तब गिनना सीख गई है।
– सेरेब्रल पाल्सी से पीडि़त महापुरा का हर्ष खारा लंबी दूरी तक चल नहीं पाता था, लेकिन अब बहुत दूर तक चलने में सक्षम है।

कविता अपूर्वा वर्मा, निदेशक, दिशा
फोन: 0141-2393319, मो.: +91 8233788887

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