महाराणा प्रताप की समर- स्थली हल्दीघाटी को भ्रष्टाचार से बचाने की मांग

11108964_995951873772249_8777777158076091775_nखमनोर // (कमल पालीवाल) हल्दीघाटी के संग्राम से विश्व विख्यात भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी महाराणा प्रताप की समर- स्थली पर पहली बार नवाचार की दिशा में बढे कदम । हल्दीघाटी पर्यटन समिति के आग्रह पर खमनोर थानाधिकारी जोगेन्द्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में पहली बार हल्दीघाटी भ्रमण को आये जवानों ने देखा मूल हल्दीघाटी का दर्रा। रेपिड एक्शन फोर्स के जवानों ने मुख्य हल्दीघाटी दर्रे में से स्वयं सिंगल लाइन फार्मेशन में गुजर कर इतिहास में वर्णित प्रताप कालीन युद्ध नीति को नजदीक से देख खुद को इस धरा पर धन्य माना। वर्तमान में उपेक्षित इस मुख्य हल्दीघाटी के संरक्षण की दिशा में यदि सार्थक प्रयास हो तो यह स्थल पर्यटन का मुख्य केंद्र बन सकता है।

वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक को तैयार हुए 6 बरस हो गए है। विगत कई सालों में स्मृति संस्थान के द्वारा अपने ही संस्थान के संस्थापक सदस्य के पास चल रहे अवैध संग्रहालय के नाम की दुकान को बढ़ावा दिया जा रहा है। पद्म पुरुस्कारों की चाहत में अतिकर्मी बड़े जोर शोर से संगठनों के द्वारा समर्थन जुटाने में लगे है।

पूर्व में 60 हजार रुपये प्रति बीघा की दर से 5 बीघा के अवैध आवंटन के बाद वर्तमान में 10 बीघा आवंटन कराने की कारवाई जारी है। यह भूमि राष्ट्रीय स्मारक को दी जाने वाली थी। विगत दिनों में पर्यटन विभाग ने स्मारक सहित महाराणा प्रताप से जुड़े स्मारकों के संचालन की निविदायें निकाली गई है । जिसकी अन्तिम तिथि 16 जनवरी थी। निविदाओं में भी हल्दीघाटी के रखरखाव व संचालन के लिए 23 लाख की राशि अन्य स्थलों के मुकाबले कई गुना रखना विभागीय कर्मचारियों द्वारा स्वयं हल्दीघाटी में चल रहे भ्रष्टाचार को इंगित करता है । दिवेर,छापली, गोगुन्दा व सेमारी चावण्ड के संचालन की जमानत राशी 2 लाख से 5 लाख तक है व हल्दीघाटी की 23.20 लाख जो अन्य स्थलों से कई गुना ज्यादा है। राष्ट्रीय स्मारक के नजदीक चल रहे प्रदर्शन केन्द्र की आड़ में हल्दीघाटी का विकास अवरोधित करने वालों के लिए समय चेतावनी भरा है । समय रहते प्रशासन ने यहॉं पनप रहे पुंजीवाद को अंकुश नही लगाया तो आने वाला समय क्षेत्र के पर्यटन पर बुरा प्रभाव डालने वाला साबित होगा। हल्दीघाटी में अतिकर्मी को संरक्षण देने वाले अधिकारीयों द्वारा अन्य छोटे दुकानदारों के खिलाफ पुंजीवाद की आड में एकतरफा कार्यवाही से क्षेत्र में जन आक्रोश बढ़ा है।

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