राजस्थान ने केंद्र से मांगे 2830 करोड़

राजस्थान के कई जिलों में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए केन्द्रीय अध्ययन दल ने माना है कि जिन जिलों को अभावग्रस्त घोषित किया गया और बारिश देरी से हुई है, वहां स्थिति ठीक नहीं है। इन जिलों में देरी से बुवाई होने के कारण फसल की संभावना कम है, साथ ही चारे की समस्या भी है।

दल के सदस्यों ने आज मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में यह खुलासा किया। राज्य सरकार की ओर से भी केन्द्रीय अध्ययन दल को संशोधित और अंतरिम ज्ञापन दिया गया है, जिसमें सूखे और अभाव की स्थिति से निपटने के लिए 2830.50 करोड़ रुपए की राशि की मांग की गई है। इससे पहले बारिश नहीं होने पर राज्य ने केन्द्र सरकार को 7450 करोड़ रुपए का ज्ञापन भेजा था।

इस ज्ञापन के आधार पर ही केन्द्रीय अध्ययन टोली का कार्यक्रम तय किया गया है। कृषि और सहकारिता के संयुक्त सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि जुलाई में बुवाई नहीं हो सकी और देरी से बारिश के बाद हुई बुवाई के कारण फसल कमजोर होने की आशंका है।

उन्होंने कहा कि गिरदावरी के बाद नया विस्तृत ज्ञापन देने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। राज्य सरकार की ओर से दिए ज्ञापन में खरीफ फसलों के खराब होने पर प्रभावित काश्तकारों को एसडीआरएफ के तहत कृषि अनुदान के लिए 1669.04 करोड़ दिए जाने मांग की है। इसके साथ ही कृषि विभाग की ओर से चारा मिनीकिट्स वितरण के लिए 67.50 करोड़ रुपए, सहकारी बैंकों की ओर से दिए अल्पकालीन और मध्यकालीन ऋणों को दीर्घकालीन में बदलने पर राज्य सरकार पर आने वाले भार की राशि 307.20 करोड़ रुपए और पशु आहार अनुदान और दुग्ध उत्पादन के लिए 130.06 करोड़ रुपए मांगे है। पशु आहार के रूप में 27,000 टन अखाद्य गेहूं राज्य सरकार को कच्चे माल के रूप में और महिलाओं और बच्चों को पूरक पोषण के लिए पोषाहार के लिए 132 करोड़,अनुग्रह सहायता से वितरण के लिए 0.47 लाख टन गेहूं, आपात पेयजल व्यवस्था के लिए 318.49 करोड़ रुपए मांगे है। वहीं मनरेगा में 100 दिन से अतिरिक्त रोजगार देने के लिए 325.80 करोड़ रुपए, जिसमें 81.45 करोड़ रुपए नकद और शेष 244.35 करोड़ रुपए गेहूं केन्द्र से प्राप्त करने के लिए ब्यौरा पेश किया गया है।

error: Content is protected !!