आचार्य देवेन्द्र मुनि के साहित्य पर अल्पना बाकलीवाल को पीएच. डी.

Dr. Alpana Jain  (1)उदयपुर। विक्रम विश्वविद्यालय्ा, उज्जैन (मध्यप्रदेष) द्वारा श्रीमती अल्पना बाकलीवाल को विद्यावाचस्पति (पीएच.डी) की उपाधि प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय्ा के हिन्दी विभाग के अन्तर्गत श्रीमती डॉ. अल्पना ने ‘‘जैन इतिहासपरक उपन्यासों की परम्परा में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि का प्रदेय‘‘ विषय पर अपना शोध प्रबन्ध प्रस्तुत कर यह उपलब्धि हासिल की। डॉ. अल्पना बाकलीवाल ने हिन्दी विभाग अध्यक्षा डॉ. प्रज्ञा थापक के निर्देशन व कुलानुषासक व हिन्दी विभाग पूर्व अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा के सह निर्देषन में अपना शोध कार्य संपन्न किया है।
डॉ. अल्पना बाकलीवाल ने अपने शोध प्रबन्ध में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी के साहित्यिक व्यक्तित्व को उजागर करते हुए उपन्यास साहित्य की सभी विधाओं को आधुनिक हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया। डॉ. अल्पना ने श्रमणसंघीय सलाहकार पूज्य श्री दिनेष मुनि जी की प्रेरणा और आषीर्वाद व जैन विद्वान डॉ. तेजसिंह गौड़ के मार्गदर्षन से यह शोधकार्य सम्पन्न किया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म. पर वर्ष 1993 में डॉ. राजेन्द्र मुनि ने आगरा विश्वविद्यालय्ा के हिन्दी विभाग के डॉ. महेन्द्र सागर प्रचंडिया के निर्देषन में ‘आचार्य देवेन्द्र मुनि का हिन्दी साहित्य को देन’ पर तथा वर्ष 2010 मोहनलाल सुखाडिय्ाा विश्वविद्यालय्ा, उदयपुर (राजस्थान) से डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के पूर्व सह आचायर््ा डॉ. उदय्ाचंद जैन के निर्देशन में ‘देवेन्द्राचायर््ा कृत कर्म विज्ञान एक समीक्षात्मक अध्य्ाय्ान’ विषय पर तथा वर्ष 2011 में डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय्ा लाडनूं से पूर्व आचायर््ा डॉ. ए.बी. शिवाजी के निर्देशन में ‘जैन दर्षन में आचायर््ा देवेन्द्र मुनि का अवदान अध्य्ाय्ान’ पर तथा वर्ष 2013 दयालबाग विश्वविद्यालय्ा (आगरा) से डॉ. कविता ने डॉ. आदित्य प्रचंडिया के निर्देषन में ‘आचार्य देवेन्द्र मुनि का कथा साहित्य’ विषय पर (पीएच.डी) की उपाधि प्राप्त की थी।

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