आर्थिक बेईमानी पर नियंत्रण के लिए एक संस्था की जरूरत

SWM_3941SWM_3969जयपुर, 24 अप्रैल। आज देश में आर्थिक बेईमानी के नियमन या नियंत्रण के लिए एक संस्था बनें, इसके लिए देश स्तर पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। जिससे पत्रकारों और पत्रकारिता में बेईमानी को रोका जा सकें, यह कहना था वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी का। वे रविवार को एमिटी यूनिवर्सिटी में चल रहे अखिल भारतीय मीडिया शिक्षकों के सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे। ओम थानवी ने कहा कि मीडिया संस्थान एथिक्स का पाठ पढ़ाते है, इसके बावजूद पत्रकारिता के मूल्यों में गिरावट आई है। इसलिए जयपुर में मीडिया की नैतिकता और उत्तरदायित्व पर चर्चा एक सार्थक प्रयास है।
सोशल मीडिया में नैतिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए ओम थानवी ने कहा कि सोशल मीडिया सहित ऑनलाइन मीडिया व न्यू मीडिया के लिए नैतिकता तय होनी चाहिए। आज पत्रकार सामाजिक जिम्मेदारी को छोड़कर पत्रकारिता के पेशे के साथ नैतिक बेईमानी कर रहे है। मीडिया में ग्लैमर, सिनेमा, भूत-प्रेत और सनसनी खबरों की भरमार है। इसके लिए अखबार और टीवी चैनलों के संपादक को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जिससे मीडिया में नैतिक बेईमानी को रोका जा सकंे।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय की निदेशक अनुप्रेरणा सिंह कुंतल ने कहा कि मीडिया शिक्षकों को नैतिक मूल्यों की क्लास लेनी की जरूरत है। जिससे पत्रकारिता के विद्यार्थियों को नैतिक कर्त्तव्य का पाठ समझ में आ सकें। कुंतल ने कहा कि आज मीडिया को नैतिकता खुद तय करनी होगी। आज पढ़े लिखें व्यक्ति के दिन की शुरूआत अखबार सेे होती है। मीडिया व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में मीडिया को पाठक के जरूरत की खबरों को ज्यादा से ज्यादा कवरेज देना चाहिए। कुंतल ने नैतिकता पर कहा कि बच्चे मां की प्रतिमूर्ति होती है, ऐसे मे मां बच्चे के लिए जनसंपर्ककर्मी का काम करती है। इसलिए नैतिकता का पहला पाठ अभिभावक अपने बच्चों को घर से सिखायें। जिससे समाज में बदलाव लाया जा सकें।
कुंतल ने मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज की होड़ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बजाए जल्दी खबरें देने के मीडिया को पारदर्शी और सत्य खबरों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार एल पी पंत ने कहा आज के दौर में सूचना को रोकना कठिन है ऐसे में मीडिया की नैतिकता और उत्तरदायित्व पर चर्चा बेहद जरूरी है। मीडिया में एक व्यू पांइट होना चाहिए, जिससे पाठक को उसके मन में उठने वाले सवालों के जवाब मिल सकें।
यूनिसेफ के पूर्व वरिरूठ सलाहकार के बी कोठारी ने कहा कि देश के विकास के लिए मीडिया में विकासात्मक खबरों केा बढावा देना होगा। जिससे आमजन में जागरूकता आ सकें। लेकिन मीडिया में ग्रामीण पत्रकारिता का अभाव देखा जाता है, जो बेहद चिंताजनक है।
सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने तीन दिन सम्मेलन के दौरान मीडिया की नैतिकता और उत्तरदायित्व पर आयोजित हुए विभिन्न प्लैनेरी सत्र, तकनीकी सत्रों के बारें में जानकारी दी। सम्मेलन के आयोजन सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने देशभर से आए मीडिया विशेषज्ञ और मीडिया शिक्षक का आभार प्रकट किया। उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय अखिल भारतीय मीडिया शिक्षकों का यह सम्मेलन राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केन्द्र, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान, मीडिया एडवोकेसी स्वंयसेवी संगठन , लोकसंवाद संस्थान और सोसायटी ऑफ मीडिया इनीशियेटिव फॉर वैल्यूज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। सम्मेलन में 15 राज्यों से 150 से अधिक मीडिया विशेषज्ञ, मीडिया शिक्षक और शोधार्थी शामिल हुए।

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