जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान मय ब्याज सहित करने के आदेश

वरिष्ठ एवं चयनित वेतनमान का लाभ, छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करते हुये बकाया राशि का भुगतान, उपदान की राशि एवं खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान मय ब्याज सहित करने के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)

jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, महिला मण्डल गर्ल्स हायर सैकण्डरी स्कूल/ महिला मण्डल सीनियर हायर सैकण्डरी स्कूल, उदयपुर (राज.) को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण श्रीमती विजया लक्ष्मी मुंशी व श्रीमती कनकतारा पोरवाल को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वरिष्ठ और चयनित वेतनमान का लाभ, अन्तिम वेतन के अनुसार ग्रेच्यूटी की राशि, प्रार्थीगण के खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान तथा प्रार्थी विजय लक्ष्मी द्वारा प्रधानाध्यापिका के पद पर सेवा कार्य किया गया है तो उसे उक्त पद की नियमानुसार देय वेतन भत्तों की राशि एवं प्रार्थी कनकतारा पोरवाल का राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अन्तर्गत वेतन का स्थिरीकरण करते हुये एरियर की राशि बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थीगण विजया लक्ष्मी मुंशी की नियुक्ति दिनांक 10.08.72 को व्याख्याता के पद पर तथा कनकतारा पोरवाल की नियुक्ति दिनांक 07.07.71 को अध्यापक ग्रेड तृतीय के पद पर अप्रार्थी संस्था में हुई थी जो चयन समिति द्वारा विधि सम्मत् सम्पूर्ण प्रक्रिया अपनायी जाकर हुई थी। प्रार्थीगण की सेवानिवृति क्रमशः 31.07.2006 व 31.08.2008 को अप्रार्थी संस्था से हुई थी। परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगणों को वरिष्ठ एवं चयनित वेतनमान का लाभ, उपदान की राशि एवं खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि एवं प्रार्थी विजया लक्ष्मी को प्रधानाध्यापिका पद पर सेवा कार्य करने का लाभ एवं प्रार्थी कनकतारा पोरवाल को छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया। सेवानिवृŸि के पश्चात् प्रार्थीगणों द्वारा उक्त लाभ देने हेतु संस्था से बार-2 निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगणों के निवेदन को अनसुना कर दिया। इसके बाद प्रार्थीगणों ने संस्था से तंग एवं परेशान होकर जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से माननीय अधिकरण के समक्ष प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलवाये जाने हेतु निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा का तर्क था कि प्रार्थीगणों की नियुक्ति अनुदानित पद के विरूद्ध हुई है तथा अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 90 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है तथा राज्य सरकार से अनुदानित होने के कारण अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 और नियम, 1993 के प्रावधान लागू होते है और उक्त नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार प्रार्थीगण उपरोक्त समस्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त सभी लाभ बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।

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