7 परिवारों पर दबंगों का कहर,दाह संस्कार करने से रोका

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर जिले में शेरगढ़ के जेठानिया गांव में मिनी बस की टक्कर से एक युवक की मौत के बाद गांव वालों ने सात परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया। टक्कर मारने के आरोप में मिनी बस वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया, फिर भी गांव के दबंगों का दिल नहीं भरा।

गांव के दबंग तीनों आरोपियों पर 20 बीघा जमीन और 5 लाख रुपये के आर्थिक दंड के भुगतान के लिए दबाव डालने लगे। आरोपियों ने जब भुगतान में असमर्थता जताई तो 7 परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट गया। शुगर पेशेंट बाबूराम के इलाज के लिए गांव से कोई वाहन जोधपुर जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। बाबूराम मामले में सजा काट रहे आरोपियों का भाई था। आखिरकार इलाज के अभाव में इस 31 अगस्त को बाबूराम की मौत हो गई। हद तो तब हो गई जब दबंगों ने 36 घंटे लाश पड़ी रहने के बाद भी गांव की सरहद में दाह संस्कार नहीं करने दिया। दूसरे गांव में 42 किमी. दूर जाकर दाह संस्कार करना पड़ा। हुक्का-पानी बंद होने की वजह से अब इस परिवार के 12 बच्चों को स्कूल में पढ़ाने से भी अध्यापकों ने इंकार कर दिया है। इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अखिल भारतीय आदर्श जाट महासभा के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को ओटीएस में ज्ञापन सौंपा।

उन्होंने आरोप लगाया कि अत्याचार करने वाले 32 आरोपियों के खिलाफ देचू पुलिस थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि स्थानीय विधायक बाबूसिंह राठौड़ भी आरोपियों का साथ देने में लगे हुए है। प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि बाबूराम की 31 अगस्त को इलाज के अभाव में मौत हो गई। 1 सितंबर को श्मशान घाट गए तो वहां दाह संस्कार करने से रोक दिया गया। प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि जेठानिया गांव में तीन श्मशान घाट है। तीनों श्मशान घाट पर गांव के लोगों ने घेराबंदी कर दी और दिन भर रस्साकसी चलती रही। मौके से देचू थाना प्रभारी और तहसीलदार शेरगढ़ को सूचित किया गया। पुलिस आई, लेकिन दबंगों के आगे उसकी एक ना चली। इसके बाद 42 किमी दूर चतुरपुरा गांव जाकर दाह संस्कार किया गया।

 

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