मानवाधिकार हनन में उत्तर भारत आगे

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष के.जी. बालाकृष्णन का मानना है कि मानवाधिकार हनन सबसे ज्यादा उत्तर भारत में है। बालाकृष्णन ने राजस्थान में अनुसूचित जाति पर अत्याचार की दर राष्ट्रीय औसत से तीन गुना बताते हुए कहा कि कल्याण योजनाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने से यह दर स्वत: ही नीचे आ जाएगी। जयपुर दौरे पर आए बालाकृष्णन ने आयोग की स्थिति को कमजोर मानने से इनकार किया, लेकिन यह जरूर कहा कि राज्य आयोगों को सरकारों का सहयोग नहीं मिलता।

के.जी.बालकृष्णन ने राजस्थान की राज्यपाल मार्गेट अल्वा से मुलाकात की। जयपुर यात्रा पर आए बालाकृष्णन ने इस शिष्टाचार मुलाकात बताया। बालाकृष्णन ने विशेष बातचीत में कहा कि राजस्थान कई मामलों में खास है, नरेगा और सूचना का अधिकार कानून इसी प्रदेश की बदौलत बन पाए। उन्होंने कहा कि अभी जिला कोर्ट का प्रावधान तो है, लेकिन इनके बारे में विशेष कानून नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार इनके लिए हाईकोर्ट की सहमति से अलग कानून बनाएं। आयोग भी इस मुद्दे को लेकर लेख तैयार कराएगा। मानवाधिकार आयोग की ताकत बढ़ाने की क्या जरूरत है बताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयोग तो सिफारिश करने के बजाय सुनवाई के दौरान ही पीडि़त को राहत दिलवा देता है। कई राज्यों में आयोग अध्यक्ष नहीं हैं, कही उन्हें सुविधा और स्टाफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी स्थिति में सुधार जरूरी है।

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