हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव की अनूठी मिसाल हिन्दू भी रोजे रखते हैं

badmer newsबाड़मेर / राजस्थान के सीमावर्ती जिलों बाड़मेर और जैसलमेर के कई गांवों में हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव की अनूठी मिसाल देखने को मिलती हैं। यहां कई गांवों में हिन्दू भी अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ रमजान के दौरान रोजे रखते हैं। यहां यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और हिन्दू परिवारों के लोग पांच रोजे रख कर भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं।कोई कोई पुरे रोजे भी रखते हैं ,
विभाजन के बाद इन सीमावर्ती गांवों में सिंध और पाकिस्तान से आए हिन्दू और मुस्लिम परिवारों में आज भी वहीं संबंध हैं और रिश्ते हैं जो विभाजन से पहले थे। उनके पहनावे, बोलचाल, खान-पान लगभग एक जैसे हैं।
इन गांवों के रहवासियों का कहना है कि रमजान में यदि हिन्दू रोजे रखते हैं तो हिन्दू त्योहारों पर मुस्लिम भी पूरी भागीदारी निभाते हैं और आपस में कोई दूरियां नहीं हैं। यहां रहने वाले हिन्दुओं में विशेषकर मेघवाल समुदाय में सिंध के पीर पिथोड़ा के प्रति गहरी श्रद्धा है।ये समुदाय पाक विभाजन के साथ भारत में रह गए थे ,
बाड़मेर के गोहड़ का तला गांव के गुमनाराम मेघवाल का कहना है कि हमारी पीर पिथौड़ा में गहरी श्रद्धा है और जो भी उनमें श्रद्धा रखता है, वह रोजे जरूर रखता है।
इसी गांव में एक दरगाह भी है जहां दोनों समुदायों के लोग पूरी श्रद्धा के साथ जाते हैं और परंपराएं निभाते हैं और ये इतनी समान हैं कि फर्क करना मुश्किल हो जाता है।

chandan singh bhati

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