यूडीआईडी से दिव्यांगों को एक ही प्लेटफॉर्म से मिलेगा विभिन्न योजनाओं का लाभ-जिला कलक्टर

IMG-20160831-WA0027बीकानेर, 31 अगस्त। भारत सरकार एवं निदेशालय विशेष योग्यजन, राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान् में दिव्यांगों को यूनिवर्सल आई.डी. (यूडीआईडी) प्रदान करने के लिए संभाग स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम बुधवार को कलक्ट्रेट सभागार में जिला कलक्टर वेदप्रकाश की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।
इस अवसर पर जिला कलक्टर ने कहा कि यूडीआईडी कार्य से जुड़े सभी अधिकारी पूरी संवेदनशीलता से कार्य करें, जिससे विशेष योग्यजनों को इस प्रोजेक्ट का समुचित लाभ मिल सके। सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी पूरी प्रक्रिया को समझ लें तथा किसी प्रकार की जिज्ञासा को हो तो, प्रशिक्षकों के समक्ष अपनी बात रखें। प्रशिक्षण में अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) हरि प्रसाद पिपरालिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र चौधरी, एसीपी सत्येन्द्र सिंह सहित श्रीगंगानगर, चूरू एवं हनुमानगढ़ के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
यूडीआईडी के वरिष्ठ तकनीकी प्रबंधक नरेन्द्र यादव ने यूनिक आईडी प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूनिक आईडी बनने के बाद एकीकृत बहुद्देशीय कार्ड दिव्यांगों को प्राप्त होंगे, जिससे एक ही प्लेटफॉर्म पर समस्त विभागों की योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि समूचे देश में यह यूनिक आईडी मान्य होगी। उन्होंने विकलांगता प्रमाण-पत्र को ऑनलाइन करने के लिए मेडिकल अथोरिटी के बारे में जानकारी दी।
यादव ने बताया कि दिव्यांगों को रेलवे, पेंशन सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ एक ही कार्ड के माध्यम से मिलेगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, इसके लिए शिविर आयोजित करने तथा अन्य विभागों से समन्वय का कार्य करेगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रमाण-पत्र बनवाने का किया जाएगा तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग तकनीकी क्षेत्र में समन्वय करेगा। समूची गतिविधियों का नियंत्रण जिला कलक्टर कार्यालय का रहेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रशिक्षण का दौर चल रहा है। इसके बाद सितम्बर में ही रतलाम से इस प्रोजेक्ट की शुरूआत की जाएगी। पहले चरण में देश के 14 राज्यों में इस प्रोजेक्ट की शुरूआत होगी। दूसरे चरण में पूरे देश में इसे लागू कर दिया जाएगा। प्रशिक्षण के अंत में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक एल. डी. पंवार ने आभार जताया।
—– मोहन थानवी

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