निर्माण कार्यों में गति लाने के लिए उपापन नियमों में सुधार की कवायद षुरू

jaipur samacharजयपुर, 15 सितम्बर। प्रदेष के मुख्य वर्क्स डिपार्टमेंट्स के कार्यों में और गति लाने और ‘राजस्थान लोक उपापन पारदर्षिता एक्ट-2012’ के नियमों को सरल करते हुए उनमें सुधार के लिए गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री डी.बी गुप्ता की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई।
षासन सचिवालय में सम्पन्न हुई इस बैठक में जलदाय, जल संसाधन, सार्वजनिक निर्माण, विद्युत विभाग एवं वित्त विभाग के आला अधिकारियों ने भाग लिया। जलदाय विभाग के सचिव श्री संदीप वर्मा ने बताया राजस्थान लोक उपापन पारदर्षिता एक्ट-2012 के नियमों में विरोधाभासी प्रावधानों तथा लोक निर्माण वित्तिय एवं लेखा नियम ( च्ॅथ्-।त् ) के कारण विभागों में काम कर रहे संवेदकों को भुगतान तथा पेनल्टी लगाए जाने की प्रक्रिया में अस्पष्टता है, जिससे परियोजना कार्यों में देरी होती है। नतीजन जो काम दो या तीन साल में पूरा होना होता है उसे पूरा होने में कई बार दोगुना समय तक लग जाता है।
उन्होंने कहा कि कार्यों में देरी के चलते सरकार को संवदकों पर पेनल्टी लगानी पड़ती है या उनके काम निरस्त कर किसी और कंपनी को काम देना पड़ता है। इसके चलते कई बार मामला कोर्ट में चला जाता है तो कई बार कार्य अधूरा छूट जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेष में गिने-चुने ही संवेदक होने से स्थिति और भी बिगड़ जाती है। ऐसे में उपापन नियमों में सुधार और स्पष्टता लाना आवष्यक हल है, जिससे कामों को गति मिले और जनता को समय पर ज्यादा लाभ मिल सके।
श्री वर्मा ने कहा कि विष्व बैंक द्वारा ऋण जारी करने के नियम बदल दिए हैं। अब दिए जाने वाले ऋण ‘पी फॉर आर’ (प्रोग्राम फॉर रिजल्ट) प्रक्रिया पर जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि काम में देरी होने या समय पर पूरा नहीं होने पर ऋण की राषि प्राप्त होने में भी दिक्कतें आ सकती है। ऐसे में राज्य सरकार को उपापन नियमों को और अधिक उपयोगी और सरल बनाने होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेष में चल रहे सभी मेजर प्रोजेक्ट्स की दो या तीन महीनों में अतिरिक्त मुख्य सचिव (इंफ्रा) तथा मुख्यमंत्री के सचिव के स्तर पर यदि समीक्षा की जाए तो अंतरर्विभागीय समस्याओं का भी समाधान समय रहते हो सकता है तथा चालू निर्माण कार्यों में गति मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसंुधरा राजे के निर्देश पर जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेष्वरी की अध्यक्षता में 21 सितम्बर को ‘डायलॉग विद इंडस्ट्री स्टेक होल्डर’ की थीम पर एक वर्कषॉप आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्य और देष के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर के ठेकेदार भी हिस्सा लेंगे। इसमें उपापन नियमों तथा अन्य राज्यों में निविदा प्रावधानों आदि पर चर्चा की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (जल संसाधन विभाग) श्री ओ.पी सैनी ने कहा कि वर्तमान में आर्बिट्रेषन नियमों के प्रावधानों के कारण राज्य पर भारी वित्तीय भार आ रहा है, जिनमें महत्वपूर्ण परिवर्तन आवष्यक हैं।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव (विद्युत) श्री संजय मल्होत्रा, संयुक्त शासन सचिव वित्त (वेज एंड मिनेंस) श्री रामवतार, सचिव, सार्वजनिक निर्माण विभाग श्री जी.एल राव के अलावा वित्त विभाग के अधिकारी और मुख्य अभियंताओं ने भाग लिया। इस बाबत अगली बैठक 19 सितम्बर को आयोजित की जाएगी।

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