जिला प्रशासन की उदासीनता से मांगरोल की कानून व्य्वस्था चौपट

कैसे लगेगा अपराधो पर विराम
mangrol-newsमांगरोल 5 अक्टूबर ।
जिला पुलिस प्रशासन की उदासीनता से मांगरोल क्षेत्र की कानून वैवस्था बिलकुल चौपट नज़र आ रही है, यहाँ लोगो की पुलिस से शिकायते तो हज़ार है, लेकिन उनका अब तक समाधान नहीं है, यहाँ तक की सी एल जी बैठक में सदस्यों द्वारा उठाये गए मुददो पर आज तक कोई चिंतन तक नहीं है, इस कारण अस्थायी बस स्टैंड पर चौबीसो घंटे अवैध वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है, जिस से दिनभर जाम के हालात बनते है। कोटा मांगरोल मार्ग पर हर रोज नई नई कंपनी की प्राइवेट बसे नज़र आ रही जो हर आधे आधे घंटे में मांगरोल से कोटा के लिए दौड़, मुह माँगा किराया बसूल कर रही है, जिनमे यात्रियों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है, यही नहीं बिना दस्तावजो के धड़ल्ले से फर्राटे भरने वाले अवैध वाहनों की कोई जाँच परख नहीं है, गत दिनों रामगढ रोड पर रेती से भरी ट्रॉली पलट जाने के बावजूद उस घटना से पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया है। जबकि उसमे सवार सहरिया परिवारो के आधा दर्जन महिला, पुरुष मजदूर घायल हो गए थे, जिन्हें उपचार के लिए बारां-कोटा के लिए रेफर किया गया था। जिसका अंदाजा उदाहरण के तोर पर दिनभर बाज़ारो में होकर गुजरती रेती, भाटो की ट्रॉलियों से लगाया जा सकता है जो भरी भराई थाने के सामने होकर खुलेआम सड़को पर दौड़ती है। साल 2016 में तो अवैध धंधो में दुगुनी चौगुनी वृद्वि हुई है, भले ही पुलिस इस से कितना ही इंकार करे लेकीन जो खुलेआम होता है ओ किसी से छुपता नहीं है, वर्तमान हालात की बात करे तो स्मैक बेचने के मामले बोरदा व् भटवाडा गांव का नाम इतना फेमस हो गया है की, इन गावो का नाम क्षेत्र के बच्चे बच्चे की जुबाह पर है, जहाँ का माहोल ख़राब होने से कई परिवार तबाह होने की तैयारी में है। अपने बच्चों व् पतियो से तंग आकर मंगलवार को भी गांव की एक दर्जन महिलाओ ने जिला कलेक्टर बारां को हस्ताक्षर शुदा ज्ञापन देकर बुरी लत में फंसे अपनों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है जो रोज अपने-अपने शोक को पूरा करने के लिए क्षेत्र में चोरी चकारिया करते है, घरो के कीमती सामानों को बेचते है और रोकने टोकने पर माँ बाप, भाई भोजाइयो के साथ मारपीट करते है, ऐसी कई शिकायते भी पुलिस के पास पहुची है, सामाजिक बुराई कहा जाने वाला सट्टा का व्यापार ने भी मलेरिया की तरह पैर पसार लिया है, अवैध दारू भी किराने की तरह घरो से चौबीसो घंटे पिने वाले को उपलब्ध हो रही, गली मोहल्लों में शराबियो का आतंक है। दीमक की तरह फ़ैल रहे अवैध कारोबार पर विराम लगाने की जगह प्रशासन उन पर्दा डालने का काम कर रहा है, जो अपनी जवादेहि से बचने के लिए मिडिया से भी बच रहे है। ऐसी बात नहीं है की पुलिस इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करती, रीतों के अनुसार कभी कभार केश भी बनाया जाता है और रिकॉर्ड के लिए कागज भी तैयार किये जाते है, लेकिन ठोस कार्येवाहि नहीं होने से उनके आचरणों में कोई सुधार नहीं आत्ता। आपको बता दे की सरकार द्वारा पुलिस वालो को लोगो की हर घंटे सुरक्षा करने, गुप्त सुचना देने क्षेत्र में शांति बनाने वास्ते एक ही सिरिंज के नंबरो की सरकारी सिमें जारी कर रखी है, जो कई दिनों से बंद बता रही हे, ऐसे में हर माह हज़ारो की सरकारी पगार उठाने वाले पुलिस वालो पर अंगुली उठना लाजमी है। हमारे पत्रकार सरकारी नंबर की सीरीज वाले मोबाइल नंबर जैसे 9530444503, 504, 505, 506, 507 आदि नंबर पर फोन लगाकर मामलो की जानकारी करते है तो आधे से ज्यादा मोबाइल स्विच ऑफ बताते है, और किसी नंबर पर घंटी जाती भी है तो फोन ही नहीं उठाया जाता। इस बारे में पत्रकार संघ अध्यक्ष कुलदीप सिंह सोलंकी ने पुलिस उपाधीक्षक गोविन्द सिंह बारहट से भी बातचीत की, लेकिन उन्होंने भी थाने के नंबर पर फोन लगाकर सेफ्रेड नंबर लेने की बात कहते हुए अपनी जिमेदारी से इति श्री कर ली, जिन्हें शायद ये नहीं पता की पुलिस वालो से कभी भी आम आदमी का पड़ सकता है, जिसके लिए सरकार द्वारा जारी किया गया रटा रटाया नंबर मददगार साबित हो सकता है।

फ़िरोज़ खान

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