जिम्मेदारी एवं ईमानदारी से कत्र्तव्य का निर्वहन ही राश्ट्र सेवाः पाठक

br10बारां, 7 अक्टूबर । प्रत्येक व्यक्ति समाज में जिस स्थान पर काम कर रहा है, उसे उस ही स्थान पर पूर्ण जिम्मेदारी एवं ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहना चाहिये। यही उसके लिये राष्ट्र सेवा होगी। यह विचार गुरूवार रात्रि को मृदुल भवन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यानमाला कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमुख वक्ता के रूप में क्षेत्रिय संगठन मंत्री विपिन चन्द्र पाठक ने व्यक्त किए। उन्होंने स्थानीय साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के समय देश पर मरने वाले लोगों की जरूरत थी लेकिन आज देश के लिये जीने वाले लोगों की आवश्यकता है। पाठक ने साहित्यकारों से आह्वान किया कि राष्ट्र का गौरव बढ़ाने तथा नई पीढ़ी में संस्कार उदित करने वाला साहित्य रचित किया जाना आवश्यक है। हमे ऐसा साहित्य लिखना जरूरी है जो नवीन पीढ़ी को उनके गौरवशाली इतिहास से ही परचित नहीं कराए, वरन उनमे राष्ट्र सेवा की भावना पैदा कर नव चेतना का संचार कर सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार द्वारका लाल गुप्ता ने की।

पूरी दुनिया में भारत देष का मानती है भारत को लोहा-

इसके बाद षुक्रवार सुबह सरदार पटेल महाविद्यालय के छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुऐ अनेक उद्धरणों के माध्यम से उन्होंने बताया कि किस प्रकार पूरी दुनियां में भारत देश का लोहा माना जाता है, लेकिन अफसोस की हम आधुनिकता की दौड़ में अंधे होकर उन्हीं देशो का अनुसरण कर हैं। इन्होंने छात्रों से कहा की पहले आपको भारत को जानना होगा फिर पहचानना होगा। तब आपको भारत को समझना होगा और जब तक हम अपने देश को ही नहीं समझेंगे तो उसके अनुरूप काम कैसे कर पाएंगे। कार्यक्रम को साहित्य परषिद के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं महाविद्यालय संचालक प्रद्युम्न वर्मा ने भी सम्बोधित किया। इकाई के अध्यक्ष भैरवलाल भास्कर ने आभार व्यक्त किया।

फ़िरोज़ खान
बारां(राजस्थान)

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