किशोरों को एनीमिया से बचाती, हर सोमवार आयरन की एक नीली गोली

विफ्स कार्यक्रम हेतु स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग की संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित

img_20161109_124712अगर आपका काम करने का मन नहीं करता, हर वक्त थकावट महसूस होती है, चेहरे पर पीलापन बढ़ता जा रहा है तो तुरंत जांच करवाएं। क्योंकि ये एनीमिया हो सकता है। कुल मातृ मृत्यु के 20 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार एनीमिया की रोकथाम के लिए चलाए गए वीकली आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बुधवार को स्वास्थ्य भवन में संभाग स्तरीय मंथन हुआ। संयुक्त निदेशक बीकानेर जोन कार्यालय के तत्वावधान में 2 दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मंगलवार को गंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के तथा बुधवार को बीकानेर व चूरू जिले के स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को एक मंच पर लाकर बेहतर समन्वय की कवायद की गई।
कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक निदेशालय जयपुर से आए सहायक निदेशक आई.सी.डी.एस. व आर.सी.एच. डॉ. श्याम मित्तल ने एनीमिया के कारण बताते हुए उसकी रोकथाम के लिए विफ्स कार्यक्रम के बेहतर संचालन के निर्देश दिए। विफ्स कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रेम सिंह ने कार्यक्रम की रिपोर्टिंग तंत्र को दुरुस्त करने हेतु आवश्यक व्याख्यान दिया। संयुक्त निदेशक डॉ. एच.एस. बराड़ ने कहा कि आयरन की गोली कोई दवाई नहीं है बल्कि ये फूड सप्लीमेंट है जैसे काजू-बादाम। इसके खाने से हजार में एक बच्चे को जी मिचलाने की शिकायत हो सकती है लेकिन इसका उपयोग जरूरी है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को विद्यालयों में इस बात का प्रचार करने का आह्वान किया। जिला शिक्षा अधिकारी हेमेन्द्र उपाध्याय ने शिक्षा विभाग के पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए उपस्थित शिक्षा अधिकारी व नोडल विद्यालय प्राचार्य से इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बीकानेर शिक्षा विभाग का मुख्यालय है और यही पिछड़ा रह जाए तो इससे बुरा क्या होगा। बच्चे विभाग का केंद्र हैं और उनके स्वास्थ्य के लिए चलाए गए विफ्स कार्यक्रम का सटीक क्रियान्वयन न केवल परम कर्तव्य है बल्कि एक पुण्य का कार्य है। उन्होंने कहा कि अब से इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक 10 से 19 वर्ष आयु के छात्र-छात्रा को आयरन व एल्बेंडाजोल की गोली भी दी जाएगी और उतनी ही जरूरी रिपोर्टिंग भी की जाएगी।
कार्यशाला में आरसीएचओ डॉ. रमेश चन्द्र गुप्ता, जयपुर से विफ्स कार्यक्रम सलाहकार अंजना गौड़, यूनिसेफ के सलाहकार शिवराज सिंह, बीसीएमओ बीकानेर डॉ. सुरेन्द्र चौधरी, बीसीएमओ लूणकरणसर डॉ. एच. एन. सिद्ध सहित बीकानेर व चूरू जिले के स्वास्थ्य व शिक्षा अधिकारी व नोडल विद्यालय प्राचार्य उपस्थित रहे।

क्या है एनीमिया ?
डॉ. मित्तल ने बताया कि शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की कमी अथवा इनके अन्दर उपस्थित हिमोग्लोबिन की कमी एनीमिया (खून की कमी) कहलाती है। इससे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीकरण का दौरान जरूरत से कम हो पाता है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती। सामान्यतः 13 से कम एचबी वाले पुरुष व 12 से कम एचबी वाली महिला को एनीमिया से ग्रसित माना जाता है किन्तु एचबी 7 से कम होने को उच्च जोखिम में की श्रेणी में रखा जाता है।

कारण
लौह तत्व, फोलिक एसिड, विटामिन ए व बी युक्त खाद्यों का सेवन कम करने, रक्त स्त्राव हो जाने, किशोरी बालिकाओं में मासिक के दौरान अधिक रक्त हानि, गोल कृमि-हुक कृमि जैसे पेट के कीड़ों द्वारा पोषण का हरण से एनीमिया हो सकता है।

एनीमिया का वर्तमान स्तर
डॉ. प्रेम सिंह ने कहा कि एनएफएचएस सर्वे के अनुसार भारत में 58 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं, 5 साल तक के 70 प्रतिशत बच्चे व राजस्थान की 53 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं।
आयरन की पूर्ति के लिए क्या खाएं ?
डॉ. मित्तल ने बताया कि एनीमिया से बचाव के लिए खुराक का विशेष ध्यान रखना चाहिए। विशेषकर किशोरों व गर्भवतियों को आयरन, विटामिन ए, बी व सी युक्त खाद्य जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, कद्दू के बीज, अनार, सेब, मेवे, फलियाँ, बीन्स, बाजरा, गुड़, अंडे, लाल मांस व सी-फूड इत्यादि का नियमित सेवन करना चाहिए। लोहे की कढ़ाही में बने खाने से भी आयरन की पूर्ति होती है। खाने के बाद दुग्ध उत्पाद-चाय-कॉफी इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।

विफ्स कार्यक्रम
किशोरावस्था (10 से 19 वर्ष आयु) में आयरन की कमी की संभावनाएं अत्यधिक होने को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड संपूरक कार्यक्रम यानिकी विफ्स चलाया गया है। इसके तहत प्रत्येक सरकारी विद्यालय व आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सोमवार को खाने के बाद 100 मिलीग्राम आयरन व 500 मिली ग्राम फोलिक एसिड की एक गोली दी जाती है।

क्रियान्वयन
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ये गोलियां शिक्षा व आई.सी.डी.एस. विभाग को उपलब्ध करवाई जाती है। गोली का उपयोग व रिपोर्टिंग कार्य सम्बंधित विभाग द्वारा किया जाता है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
बीकानेर

error: Content is protected !!