माँ आसमान से मुझे जरुर देखेगी आसमां – धरती के बीच उड़ते हुए

जैन समाज का प्रथम युवा बना जेट फायटर पायलट
दिसम्बर – 22/2016।
photo-sahil-jainआसमां में भी सुराख हो सकता है, एक पत्थर तो जोर से उछालो यारों… यह बात एक युवा ने चरितार्थ की है। बाईस साल के इस युवा के सिर से मां का सायां तब उठ गया था, जब वह सातवीं में था। इसके बाद मां की इच्छानुसार उसने सेना में जाने के लिए अथक मेहनत की। इसके बाद जेट फायटर प्लेन के पायलट पद पर चयन हो गया। पुष्करवाणी गु्रप ने जानकारी लेते हुए बताया कि ‘साहिल’ जैन समाज का यह इकलौता युवा है, जो यह मुकाम हासिल कर पाया है। पिता डॉ. एमएल जैन के सुपुत्र साहिल का भारतीय वायुसेना में प्लाइंग ऑफिसर के बाद जेट फायटर पायलट के लिए चयन हुआ है। मूलतः उत्तरप्रदेष के ललीतपुर की मूल निवासी डॉ. जैन दिगम्बर संप्रदाय से है।
शिक्षा विभाग इंदौर के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नरेंद्र जैन के भतीजे साहिल रीवा के सैनिक स्कूल में पढ़ने के बाद साहिल ने खड़गवासला पुणे में एनडीए से स्नातक किया। इसके बाद हैदराबाद एयरफोर्स अकादमी से उच्च स्तरीय ट्रेनिंग पाई। इसके बाद फायर फायटर के पायलट पद पर चयनित हुए हैं। साहिल ने बताया कि मम्मी कविता जैन मुझे ऊंचाई भरे मुकाम पर देखना चाहती थीं, लेकिन वे तब विदा हो गईं, जब मैं सातवीं में पढ़ाई कर रहा था। तभी से मैंने प्रण लिया था कि मां भले ही पास न हों, लेकिन वह जहां भी होंगी मुझे ऊंचाइयों पर देखकर जरूर खुश होंगी। जब मेरा चयन जेट फायटर पायलट के लिए हुआ तो लगा कि मैं जब हवा को चीरते हुए डेढ़ से दो हजार किमी की गति से उड़ने वाले विमानों को उड़ाऊंगा तो मां जरूर आसमां से मुझे धरती व आसमां के बीच उड़ते हुए देखेंगी। वे जरूर खुश होंगी। मेरी यह उपलब्धि मां को समर्पित है। इंदौर के पत्रकार अवधेष षर्मा से बातचीत दौरान साहिल ने युवाओं के नाम एक संदेष में कहा कि अपने उद्देश्यों को लेकर युवा आगे बढ़ें, सफलता जरूर पाएंगे। सुविधा मिलना या न मिलना अलग बात है, लेकिन उद्देश्य प्राप्ति के लिए मेहनत एवं जज्बे के साथ काम लेना होगा। साहिल को कमिशन श्रीलंका वायुसेना प्रमुख की मौजूदगी में मिला। साहिल ने बताया कि देश की सुरक्षा मेरे लिए सर्वोपरि होगी।

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